नेशनल एजुकेशन डे पर ,इंडियन एजुकेशन सिस्टम की कुछ खूबी और कुछ कमियां
National Education Day (राष्ट्रीय शिक्षा दिवस) हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले शिक्षा मंत्री और स्वतंत्रता सेनानी, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के रूप में मनाया जाता है। मौलाना आज़ाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा दी, और उनका योगदान आज भी हमारे शिक्षा तंत्र में महसूस किया जाता है। मौलाना आज़ाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। मौलाना आज़ाद के कार्यकाल में भारतीय शिक्षा नीति में कई बदलाव किए गए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण था IIT (Indian Institutes of Technology) जैसी उच्च शिक्षा संस्थाओं की स्थापना। इन संस्थाओं ने न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक नई पहचान बनाई। भारत अपने संस्कृति के मामले में सबसे ऊपर माना जाता है पर शिक्षा के मामले में हमारी कुछ खूबियां और कुछ कमियां भी है |
नई भारतीय शिक्षा नीति (NEP 2020): मुख्य पहलू :
भारत सरकार ने 2020 में एक नई शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) लागू की, जिसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में सुधार करना और उसे विश्व स्तर पर नाम करने का है । इस नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं |
10+2 संरचना का बदलाव ,नई नीति में 10+2 संरचना को बदलकर 5+3+3+4 संरचना में विभाजित किया गया है। इसमें 5 साल प्रारंभिक शिक्षा 3 से 8 साल तक |
3 साल (माध्यमिक शिक्षा): कक्षा 3 से 5 तक |
3 साल (उच्चतर माध्यमिक): कक्षा 6 से 8 तक |
4 साल (कॉलेज): कक्षा 9 से 12 तक
इससे बच्चों को मजबूत बुनियादी शिक्षा मिलेगी और उनके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास पर ध्यान दिया जाएगा।
नई नीति में बच्चों को सिर्फ अकादमिक शिक्षा नहीं, बल्कि नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों की भी शिक्षा देने पर जोर दिया गया है। इस नीति के तहत बच्चों को उनके जीवन कौशल को बेहतर बनाने के लिए मूल्य आधारित शिक्षा दी जाएगी।
मल्टी-डिसिप्लिनरी शिक्षा
नई नीति में एक छात्र को अपनी रुचियों और क्षमताओं के अनुसार विभिन्न विषयों का चयन करने की स्वतंत्रता दी गई है। अब छात्र एक ही समय में गणित, विज्ञान, कला, साहित्य आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
NEP 2020 में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है, जिसमें ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ाया गया है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा को आसान बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
उच्च शिक्षा संस्थानों में एकल प्रवेश प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे विभिन्न परीक्षा प्रणाली के बीच का अंतर समाप्त होगा। इसके अलावा, छात्रों को अधिक करियर विकल्प देने के लिए व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। NEP 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसका उद्देश्य छात्रों को बेहतर शिक्षा देना है। हालांकि इसके Execution में समय लगेगा, लेकिन यह नीति भारतीय शिक्षा को और भी अच्छा बना देगी |
भारतीय एजुकेशन सिस्टम में अक्सर रटने (मेमोरी आधारित) पर ज्यादा जोर दिया जाता है, बजाय इसके कि विद्यार्थियों को सोचने और समझने की कैपेसिटी को डेवलप किया जाये । परीक्षा के समय एक ही तरह के सवालों के लिए विद्यार्थियों को तैयार किया जाता है, जो उनका क्रिएटिव और क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स को प्रभावित करता है। इस वजह से नौकरी के समय स्किल्स के बजाय डिग्री को मान्यता दी जाती है जो काफी पिछड़ी सोच है | भारतीय एजुकेशन सिस्टम में थ्योरी पर ज्यादा जोर दिया जाता है, जबकि प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की कमी है। विद्यार्थी केवल किताबों तक सीमित रहते हैं, और रोजगार के लिए जरूरी स्किल सीखने में असफल रहते हैं। इसका असर उनके करियर पर पड़ता है।
कम्पनीज और प्राइवेट संस्थान में स्किल्स को बगल में रख कर हमेशा डिग्री को ऊपर रखा जाता है इस वजह से कई युवा बेरोज़गार हो जाते है | कई डिग्री ऐसी होती है जिन्हे युवा पैसे की दिक्कत के वजह से पढाई जारी नहीं रख सकते है | निजी और सरकारी स्कूलों के बीच में भी एक बड़ा अंतर है। जबकि निजी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और बेहतर सुविधाएं होती हैं, सरकारी स्कूलों में यह अवसर और संसाधन काफी कम होते हैं। इसके कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे अच्छी शिक्षा पाने में पीछे रह जाते हैं।
इंडियन एजुकेशन सिस्टम में सुधार के लिए शिक्षा में प्रैक्टिकल और क्रिएटिविटी पर जोर देना चाहिए, ताकि छात्र सोचने और हल करने की क्षमता विकसित कर सकें। छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में विकल्प मिल सकें। शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार कर शिक्षकों को नई तकनीकों से अपडेट करना चाहिए। साथ ही, तकनीकी और Commercial शिक्षा को प्राथमिकता देना चाहिए, ताकि छात्र रोजगार के लिए तैयार हो सकें।
कश्मीर में आतंकियों के विरुद्ध सेना का ऑपरेशन जारी
जम्मू-कश्मीर में रविवार, 10 नवंबर को सेना और आतंकियों के बीच दो अलग-अलग जगहों पर एनकाउंटर हुआ। पहला एनकाउंटर श्रीनगर के जबरवान इलाके के जंगलों में सुबह 9 बजे शुरू हुआ था। बता दें, ये एनकाउंटर तब हुआ जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। इस दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चला दी , सुरक्षाबलों ने भी आतंकियों पर जमकर गोलियां चलाई और फिर कई घंटों तक दोनों ओर से गोलीबारी जारी रही। इस बीच आतंकी जंगल में भागने में कामयाब रहे। वहीं, दूसरा ऑपरेशन किश्तवाड़ के केशवान के जंगलों में सुबह 11 बजे शुरू हुआ था, सूचना के अनुसार यहां 3-4 आतंकियों के होने की खबर थी। इस मुठभेड़ में सेना के स्पेशल फोर्सेज (2 पैरा एसएफ) के 4 जवान घायल हुए थे, घायल जवानों में से एक जूनियर कमीशन ऑफिसर यानि JCO राकेश कुमार वीरगति को प्राप्त हो गए, 3 जवानों का इलाज जारी है। अधिकारियों ने बताया है कि ये आतंकी कश्मीर टाइगर्स ग्रुप के हैं और इन लोगों ने ही 7 नवंबर को 2 विलेज डिफेंस गार्ड की हत्या की थी। किश्तवाड़ में ऑपरेशन जारी है और आतंकियों की तलाश की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर में बीते 24 घंटों में हुए तीन मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया है। बता दें, सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच पिछले 24 घंटों के अंदर यह तीसरी मुठभेड़ रही। सुरक्षाबलों ने इस महीने के बीते दस दिन में 8 आतंकियों को मार गिराया है। सेना ने कश्मीर के सोपोर में 8 नवंबर को 2 और 9 नवंबर को एक आतंकी मार गिराया था, इन इलाकों में आतंकियों की बढ़ती घुसपैठ के बाद से सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं। रविवार, 10 नवंबर की सुबह सुरक्षाबलों को जबरवान में 2-3 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी, इसके बाद सेना और पुलिस ने दाचीगाम और निशात के ऊपरी इलाकों को जोड़ने वाले जंगल में सुबह करीब 9 बजे इलाके में जॉइंट सर्च ऑपरेशन चलाया। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी, इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी जबावी फायरिंग की और ग्राउंड से आ रही खबरों के अनुसार फिलहाल एनकाउंटर जारी है।
श्रीनगर, बांदीपोरा और अनंतनाग में सेना और आतंकियों के बीच 1 से 2 नवंबर के बीच 3 एनकाउंटर हुए, जो करीब 36 घंटे तक चला। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने श्रीनगर में लश्कर के कमांडर को ढेर कर दिया था और साथ ही अनंतनाग में 2 आतंकी को भी मार गिराए था। 3 नवंबर को श्रीनगर के संडे मार्केट में आतंकवादियों ने ग्रेनेड ब्लास्ट को अंजाम दिया था, ये धमाका टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर के पास हुआ था। इस हमले में 12 लोग घायल हो गए। घटना के तुरंत बाद सेना और पुलिस ने हमलावरों को पकड़ने के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई। 5 नवंबर को पुलिस और सेना के जवानों ने बांदीपोरा में सर्च ऑपरेशन चलाया, इस दौरान हुए मुठभेड़ में सेना ने एक आतंकी को ढेर कर दिया था। फिर 7 नवंबर को मिली सूचना से पता चला कि किश्तवाड़ के अधवारी इलाके में जैश के आतंकियों ने 2 विलेज डिफेंस गार्ड की हत्या कर दी है। पुलिस ने इस मामले में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया था कि मुंजला धार जंगल में मवेशियों को चराने गए विलेज डिफेंस गार्ड को आतंकियों ने किडनैप किया और बाद में उन्हें गोली मार दी। इसी कड़ी में 8 नवंबर को सोपोर में सेना ने एक सर्च ऑपरेशन चलाया था, जिसमें सुरक्षाबलों ने 2 आतंकियों को मार गिराया। यह सर्च ऑपरेशन सेना ने सगीपोरा और पानीपोरा में चलाया था। बता दें, सोपोर के इस इलाके में 7 नवंबर की रात से ही एनकाउंटर जारी था। सुरक्षाबलों को यहां 2-3 आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी, मारे गए आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए। 9 नवंबर को सेना को रामपुर के जंगलों में 2-3 आतंकियों के छिपे होने का इनपुट मिला था, जिसके बाद सेना ने स्थानीय पुलिस के साथ जॉइंट सर्च ऑपरेशन चलाया, इसी दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग की और सेना की जवाबी फायरिंग में एक आतंकी मारा गया।
भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना ने लिया शपथ
भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना ने शपथ लेकर न्यायपालिका में एक नया अध्याय आरंभ किया। हालांकि उनके कार्यकाल की अवधी छोटी होगी। वे 11 नवंबर 2024 को इस पद की शपथ लेंगे, और उनका कार्यकाल 8 मई 2025 तक रहेगा, यानी लगभग छह महीने। इसका कारण यह है कि भारतीय न्यायपालिका में न्यायाधीशों के काम का निश्चित उम्र 65 वर्ष है। जस्टिस संजीव खन्ना 8 मई 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरा करेंगे, जिसके साथ ही उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी।
Vo1
शपथ ग्रहण समारोह
जस्टिस संजीव खन्ना को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। यह शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया, जहां कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं, जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , वर्तमान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, एवं मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ जिनके पद से रिटायरमेंट होने के बाद जस्टिस खन्ना ने मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण किया, वे सब उपस्थित थे| इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश, अन्य हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, और न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्य इस अवसर का हिस्सा बने।
Vo 2
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ का रिटायरमेंट
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ का कार्यकाल उनके Policy से जुड़े फैसलों, कानूनी सुधारों, और कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किया जाएगा। उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह पद स्वाभाविक रूप से वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपा गया। चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए और न्यायपालिका में डिजिटलाइजेशन के सुधार को बढ़ावा दिया। उनके कार्यकाल का समापन वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस खन्ना को मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने का मार्ग दिखाकर हुआ एवं अब वो रिटायर हो गए है |
Vo3
न्यायपालिका में वरिष्ठता का सिद्धांत(Principle Of Seniority)
भारतीय न्यायपालिका में परंपरागत रूप से वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन किया जाता है। जस्टिस संजीव खन्ना, जो वर्तमान में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल थे, इस सिद्धांत के तहत स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने गए। वरिष्ठता के सिद्धांत का यह पालन न्यायपालिका में स्थिरता और अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से होता है।
छेड़खानी की शिकार किन्नरों ने गुस्से में फाड़ा अपना कपड़ा
बिहार की चार सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है और आज यानि सोमवार की शाम पांच बजे उपचुनाव के लिए किये जाने वाला प्रचार-प्रसार भी समाप्त हो गया है। जैसे की अभी हमने आपको बताया कि आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था और प्रचार-प्रसार के अंतिम दिन राष्ट्रीय जनता दाल (राजद) ने बेलागंज विधानसभा क्षेत्र के पड़ाव स्थल पर एक कार्यक्रम आयोजित था। पार्टी के इस कार्यक्रम में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी मौजूद रहे और उन्होंने जन सभा को संबोधित भी किया, लेकिन इस कार्यक्रम के शुरू होने से पहले वहां मौजूद किन्नरों ने सभा स्थल पर हंगामा खड़ा कर दिया। किन्नरों के हंगामा को देख वहां तैनात सुरक्षाकर्मी दौड़ कर आये और किसी उन्हें तरह शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन छेड़खानी से नाराज किन्नर किसी की बात मानने को तैयार नहीं थे। मंच पे मौजूद राजद के नेता और कार्यकर्ता तमाशा देखते रहे और मूक दर्शक बने रहें। वहीं गुस्साए किन्नरों ने सभा में खुद अपना कपड़ा फाड़ कर अपने साथ हुई छेड़खानी का विरोध जताया। किन्नरों को वापस जाते देख राजद कार्यकर्ताओं के द्वारा उन्हें काफी मानाने की कोशिश की गई। लेकिन कार्यक्रम स्थल पर राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में हुए अपने साथ अभद्र हरकत से वह काफी नाराज हो गए और कार्यक्रम को करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद सभी किन्नर वहां से वापस लौट गए। कार्यक्रम स्थल से बहार आने के बाद किन्नरों ने बताया कि राजद के कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया गया था, जहां उनके द्वारा डांस कार्यक्रम किया जाना था। किन्नरों के अनुसार जैसे ही वो दर्शक दीर्घा में पहुंचे तभी कुछ लोगों ने उसके साथ छेड़खानी कर दी, जिसके बाद वह गुस्सा हो गए और कार्यक्रम किए बिना ही वापस लौट गए।
बिहार में गया जिले के दो विधानसभा बेलागंज और इमामगंज में उपचुनाव होना है। आपको बता दें कि उपचुनावों के लिए किए जाने वाले प्रचार के थमने से पहले आज सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपने-अपने प्रत्याशियों को जीतने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया। बेलागंज विधानसभा सीट 35 वर्षों से राजद का रहा है और लोकसभा चुनाव में जहानाबाद संसदीय सीट से डा. सुरेंद्र प्रसाद यादव के जीतने के बाद खाली हो गई थी। राजद ने बेलागंज उपचुनाव में जहानाबाद सांसद डा सुरेंद्र प्रसाद यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को टिकट दिया है। विश्वनाथ यादव को टिकट मिलने के बाद से NDA प्रत्याशी मनोरमा देवी के पक्ष में NDA घटक दल के सभी नेता लगातार जनसंपर्क कर रहे है। वहीं, चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत आजमाने उतरी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बेलागंज से मुस्लिम उम्मीदवार मो.अमजद को खड़ा कर दिया है, जिसके बाद अपना कोर वोट बैंक माने जाने वाला मुस्लिम-यादव समिकरण टूटने लगाता देख राजद नेताओं में खलबली मच गई। पार्टी ने जब अपनी परम्परागत सीट को हाथों से निकलते देखा तो बेलागंज में अपनी ताकत झोंकनी शुरू कर दी और आज इसी कड़ी में लंबे अरसे के बाद राष्ट्रीय जनता दल के सर्वेसर्वा माने जाने वाले लालू प्रसाद यादव चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगते दिखे। बता दें, नौ साल बाद लालू यादव आज बेलागंज विधानसभा क्षेत्र पहुंचे और राजद प्रत्याशी विश्वनाथ यादव के लिए लोगों से जीताने की अपील की।
सोमवार को बेलागंज के पटाव मैदान में लालू प्रसाद यादव ने चुनावी सभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बेलागंज के यादव और मुसलमानों ने फिरका परस्त ताकतों को उखाड़ कर फेंका है। अपने भाषण में सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि हम लोगों की ताकत को कोई भी माई का लाल नहीं तोड़ सकता है। हमने बहुत लोगों को पीएम और सीएम बनते देखा है, उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को भी देखा है। आपको बस लालटेन पर बटन दबाकर इन फिरका परस्त ताकतों को उखाड़ फेंकना है। मैंने अपनी बीमारी का परवाह नहीं किया और आज आप लोगों से मिलने चला आया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जदयू और भाजपा को बिहार से उखाड़ फेंकने का, इन लोगों को सात समुंदर पार फेंकना है। सभी लोग एकजुट रहिए और राजद के उम्मीदवार को भारी मतों से जिताइए, ताकि हम लोगों की ताकत इस क्षेत्र में आगे भी बनी रहे।