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Breaking News 11 July 2025

1) ट्रंप हत्या साजिश में सीक्रेट सर्विस एजेंट्स सस्पेंड ! क्या है पूरा मामला

13 जुलाई 2024  वो तारीख जब एक गोली इतिहास बदल सकती थी। पेंसिल्वेनिया के बटलर शहर में चुनावी रैली के लिए पहुंचे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ। एक गोली उनके कान को छूते हुए निकल गई, और ट्रंप बाल-बाल बचे। एक आम रैली, कुछ उत्साही समर्थक, और अचानक गोलियों की गूंज—यह किसी हॉलीवुड स्क्रिप्ट जैसा था, लेकिन यह हकीकत थी। इस हमले में एक निर्दोष की मौत हुई, दो लोग घायल हुए, और हमलावर थॉमस क्रूक्स को सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर ने वहीं ढेर कर दिया। लेकिन अब, एक साल बाद, असली शिकार कौन है? ट्रंप? लोकतंत्र? या फिर अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों की साख? एक साल के भीतर इस हमले पर कई सवाल उठे, कई जांचें हुईं, और आखिरकार अब 6 सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को सस्पेंड कर दिया गया है। डिप्टी डायरेक्टर मैट क्विन ने सीबीएस न्यूज से बातचीत में बताया कि इन एजेंट्स को 10 से 42 दिन की अनपेड लीव पर भेजा गया है, और वापसी के बाद उन्हें कम जिम्मेदारी वाले कार्य सौंपे जाएंगे। बयान में यह भी कहा गया कि, “किसी भी मामले में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” लेकिन सवाल ये है— क्या यही "कोताही" थी, जो अमेरिका के सबसे हाई-प्रोफाइल शख्स की जान लेने वाली थी? और अगर हां, तो क्या सिर्फ छुट्टी देना ही पर्याप्त कार्रवाई है?
दिसंबर 2024 में अमेरिका की खुफिया एजेंसियों और स्वतंत्र जांचकर्ताओं द्वारा एक 180 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा:  "13 जुलाई की घटना एक त्रासदी थी, लेकिन यह रोकी जा सकती थी।" रिपोर्ट में सीक्रेट सर्विस की कई खामियों को उजागर किया गया। जमीन पर सुरक्षा कवच की कमी, तत्काल खतरे की पहचान न कर पाना, और प्रोटोकॉल की अनदेखी जैसे गंभीर बिंदुओं को रेखांकित किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि एजेंसी को हमलावर की गतिविधियों और सोशल मीडिया पर उसके हिंसक विचारों को पहले ही पकड़ लेना चाहिए था।

सीक्रेट सर्विस: जिसका इतिहास तो गौरवशाली है

अमेरिकी सीक्रेट सर्विस की शुरुआत 1865 में ट्रेजरी डिपार्टमेंट की एक शाखा के तौर पर हुई थी, जिसका उद्देश्य उस समय देश में फैली नकली मुद्रा की बाढ़ को रोकना था। लेकिन 1901 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की हत्या हुई, तब राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर अमेरिका जागा। इसके बाद से, सीक्रेट सर्विस की प्राथमिक ज़िम्मेदारी बनी—राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, और उनके परिवार की सुरक्षा। आज, एजेंसी के पास लगभग: 3200 फायरआर्म्स से लैस स्पेशल एजेंट्स, 1300 यूनिफॉर्म डिवीजन ऑफिसर्स और 2000 से ज्यादा तकनीकी और समर्थन स्टाफ हैं। साथ ही, सीक्रेट सर्विस को बिना वॉरंट गिरफ्तारी की शक्ति भी प्राप्त है, और वे आर्थिक अपराधों की निगरानी भी करते हैं। लेकिन इतने मजबूत ढांचे और अधिकारों के बावजूद, अगर एक अकेला हमलावर ट्रंप तक गोली पहुंचा दे, तो यकीनन कुछ सड़ा हुआ है इस सिस्टम में। इस हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान को नई गति मिली। लोगों की सहानुभूति और मीडिया की सहानुभावना— दोनों ने ट्रंप को एक “सर्वाइवर” की छवि दी, जिसने न केवल मौत को मात दी, बल्कि फिर से राष्ट्रपति बनने की होड़ में खुद को सबसे आगे ला खड़ा किया।

 

2) क्या 'उदयपुर फाइल्स' सच दिखा रही थी? कोर्ट ने लगाई रोक!

देशभर में सुर्खियों में बनी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर शुक्रवार यानी 11 जुलाई को बड़ी खबर सामने आई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाते हुए निर्देश दिया है कि जब तक केंद्र सरकार इस पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लेती, तब तक यह फिल्म सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं की जा सकती।

यह फिल्म राजस्थान के उदयपुर में 2022 में हुए टेलर कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित बताई जा रही है। निर्माताओं का दावा है कि यह फिल्म किसी समुदाय को लक्षित नहीं करती, बल्कि कट्टरपंथ और सुनियोजित सांप्रदायिक हिंसा जैसे विषयों पर आधारित है। हालांकि, इसे लेकर कई मुस्लिम संगठनों, विशेष रूप से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आपत्ति जताई है और अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था।

अदालत की टिप्पणी और निर्देश:

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 की धारा-6 के तहत केंद्र सरकार के पास अर्जी दाखिल करनी चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ता को दो दिनों के भीतर केंद्र को प्रतिनिधित्व देने का निर्देश दिया है और साथ ही सरकार को भी हफ्ते भर के भीतर इसपर निर्णय लेने को कहा है।

CBFC की सफाई:

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को आश्वस्त किया कि बोर्ड ने फिल्म की समीक्षा करते समय सभी संवेदनशील पहलुओं को ध्यान में रखा है। उन्होंने कहा कि फिल्म किसी धर्म या समुदाय को टारगेट नहीं करती, बल्कि यह अपराध पर आधारित एक गंभीर प्रस्तुति है। ASG चेतन शर्मा ने यह भी बताया कि फिल्म में ऐसे दृश्य और संवाद शामिल किए गए हैं जो सामाजिक सौहार्द और मिलजुलकर रहने की बात करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिल्म से देवबंद, ज्ञानवापी और नूपुर शर्मा जैसे संवेदनशील संदर्भ हटा दिए गए हैं।

फिल्म निर्माता का पक्ष:

फिल्म के निर्माताओं के वकील ने अदालत को जानकारी दी कि फिल्म में 55 कट लगाए गए हैं, जो यह साबित करते हैं कि निर्माता ने बेहद संवेदनशील मुद्दों को संतुलित रूप से दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि फिल्म का उद्देश्य किसी विशेष धर्म या समुदाय को नकारात्मक रूप में पेश करना नहीं है, बल्कि यह उस भयावह सच्चाई को सामने लाने का प्रयास है जिसे देश ने उदयपुर कांड में देखा। निर्माताओं का कहना है कि उनके पास राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की चार्जशीट की कॉपी भी है, जिसमें उन्हीं तथ्यों की पुष्टि की गई है जिन पर फिल्म आधारित है। हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी जांच दस्तावेज को आधार बनाकर फिल्म की विषयवस्तु को सही ठहराना अदालत में मान्य नहीं हो सकता।

क्या है फिल्म की मौजूदा स्थिति?

निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज के लिए देशभर में 1,800 सिनेमाघरों की बुकिंग की थी और तकरीबन 1 लाख टिकटों की अग्रिम बुकिंग भी हो चुकी थी। लेकिन अब कोर्ट के अंतरिम आदेश के चलते ‘उदयपुर फाइल्स’ शुक्रवार को रिलीज नहीं हो पाएगी। अब सबकी नजरें केंद्र सरकार पर टिकी हैं, जो आने वाले एक सप्ताह में यह तय करेगी कि इस फिल्म को सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति दी जाए या नहीं। ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर विवाद की जड़ें उस दर्दनाक घटना से जुड़ी हैं जब जून 2022 में उदयपुर के रहने वाले दर्जी कन्हैया लाल की दिनदहाड़े निर्मम हत्या कर दी गई थी। हत्या की वजह नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट बताई गई थी। इस जघन्य वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था और सांप्रदायिक तनाव की एक नई लहर को जन्म दिया था।

 

3 ): कपिल शर्मा के कैफे पर फायरिंग! खालिस्तानी आतंकी ने ली जिम्मेदारी 

भारत के मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन कपिल शर्मा द्वारा कनाडा के सरे शहर में हाल ही में शुरू किए गए 'कैप्स कैफे' पर गुरुवार तड़के अज्ञात हमलावरों ने फायरिंग कर दी। घटना की जिम्मेदारी खालिस्तानी आतंकी हरजीत सिंह लाडी ने ली है। इस हमले के बाद कैफे और उसके स्टाफ को लेकर चिंता का माहौल है। वीडियो फुटेज में साफ देखा गया कि हमलावर कार से उतरकर पिस्टल से कैफे पर अंधाधुंध गोलियां चला रहा है, जिसके बाद वह फरार हो गया। सरे पुलिस के अनुसार, यह वारदात 10 जुलाई को तड़के करीब 1:50 बजे घटी। पुलिस को 120 स्ट्रीट के 8400 ब्लॉक स्थित कैफे पर गोली चलने की सूचना मिली। मौके पर पहुंचने पर कैफे की दीवारों और संपत्ति पर गोलियों के निशान पाए गए। साक्ष्य जुटाकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। आसपास के निवासियों से पूछताछ की जा रही है और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। फ्रंटलाइन इन्वेस्टिगेटिव सपोर्ट (FLIS) टीम इस केस की जांच संभाल रही है, और पुलिस अन्य घटनाओं से इसके संभावित कनेक्शन भी देख रही है। फिलहाल किसी संदिग्ध की पहचान या गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। डेल्टा पुलिस विभाग की मदद से जांच तेज़ कर दी गई है।

खालिस्तानी लिंक से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

घटना की जिम्मेदारी खालिस्तानी आतंकी हरजीत सिंह लाडी ने ली है, जिसने पहले भी ऐसे हमलों की धमकियां दी थीं। पुलिस इस ऐंगल से भी जांच कर रही है कि क्या ये हमला किसी डराने या धमकाने की बड़ी साजिश का हिस्सा था। वीडियो में हमलावर का चेहरा साफ नहीं दिख रहा, लेकिन कार और हथियार की पहचान की कोशिशें जारी हैं। हमले के बाद 'कैप्स कैफे' की टीम ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा –  “हमने इस कैफे को अपनी कम्यूनिटी के बीच एक खुशनुमा जगह के तौर पर शुरू किया था, जहां लोग बढ़िया कॉफी के साथ मिल-बैठकर सुकून के पल बिता सकें। हमारे इस सपने पर हिंसा की यह चोट बेहद दुखद है। हम इस सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमने हार नहीं मानी है। आपके समर्थन और प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद। हमारा कैफे आपके भरोसे की वजह से खड़ा है।”  “आइए, हम सब मिलकर हिंसा का विरोध करें और सुनिश्चित करें कि 'कैप्स कैफे' एक ऐसी जगह बने जहां शांति और समुदाय की भावना जीवित रहे। हम जल्द वापसी करेंगे।”
कॉमेडियन कपिल शर्मा ने 7 जुलाई को कनाडा के सरे में 'कैप्स कैफे' का उद्घाटन किया था, जिसे उन्होंने अपनी पत्नी गिन्नी चतरथ के साथ मिलकर खोला। सोशल मीडिया पर कैफे के इंटीरियर की तस्वीरें वायरल हुई थीं। यह कैफे दो साल की मेहनत का नतीजा था, जिसे कपिल ने अपने फैंस के लिए एक खास तोहफे के रूप में तैयार किया था। घटना के समय कैफे के अंदर स्टाफ मौजूद था, लेकिन सौभाग्य से कोई घायल नहीं हुआ। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह एक जानलेवा हमला नहीं था बल्कि प्रतीकात्मक दहशत फैलाने का प्रयास हो सकता है। फिर भी, संपत्ति को नुकसान हुआ है और माहौल में डर व्याप्त है।