समाजवादी पार्टी के पूर्व नगर अध्यक्ष और राजनीति में अपने मजबूत पकड़ के लिए पहचाने जाने वाले मुजीबुर्रहमान बबलू ने शुक्रवार, 10 जनवरी की सुबह, अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से सवाल उठ रहे है कि क्या कोरोना वैक्सीन और बढ़ते स्वास्थ्य संकटों के बीच कोई संबंध है? और क्या कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए पर्याप्त मानसिक और आर्थिक सहायता उपलब्ध भी है? घटना मौलवीगंज के रुतबा मंजिल स्थित उनके घर की पहली मंजिल पर हुई। परिवार वालों और पुलिस के मुताबिक, वह बीते दो सालों से लीवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि इस घटना के बाद विधायक मध्य रविदास मल्होत्रा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, "कोरोना वैक्सीन के बाद से कैंसर और हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। बबलू जी भी वैक्सीन लगवाने के बाद लीवर कैंसर से जूझ रहे थे। उनका कहना है कि यह सरकार की नीतियों और लापरवाही का नतीजा है।"
सुबह करीब 11 बजे वजीरगंज पुलिस को सूचना मिली कि मुजीबुर्रहमान बबलू ने खुद को गोली मार ली है। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी और डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि बबलू ने आत्महत्या से पहले अपने परिवार के व्हाट्सएप ग्रुप पर एक भावुक संदेश लिखा था। संदेश में उन्होंने परिवार की मोहब्बत के लिए शुक्रिया अदा किया और लिखा, "दुआओं में याद रखना।" जब गोली चलने की आवाज आई, तो परिवार के सदस्य कमरे की ओर दौड़े। उन्होंने बबलू को खून से लथपथ पाया और उनकी लाइसेंसी रिवाल्वर पास में पड़ी थी। तत्काल पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने रिवाल्वर जब्त कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मुजीबुर्रहमान बबलू पिछले दो सालों से लीवर कैंसर से पीड़ित थे। उनका इलाज लखनऊ के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। बीमारी के कारण उनका मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ गया था। हाल के दिनों में उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी, और वह अपनी पीड़ा को सहन नहीं कर पा रहे थे।
मुजीबुर्रहमान का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। वह सात भाइयों में छठे नंबर पर थे। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। 1995 में वह मौलवीगंज वार्ड से सभासद बने और बाद में कई बार समाजवादी पार्टी के लखनऊ महानगर अध्यक्ष के पद पर काबिज रहे। उनकी मौत से परिवार, समाजवादी पार्टी, और उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और अन्य नेताओं ने घटना पर गहरा दुख जताया है। यह आत्महत्या केवल एक निजी त्रासदी नहीं है। यह घटना उन हजारों कैंसर मरीजों के दर्द को उजागर करती है, जो अपनी बीमारी से लड़ने में असमर्थ महसूस करते हैं।
अयोध्या नगरी में एक ऐतिहासिक और दिव्य महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के अवसर पर आज, 11 जनवरी को प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव का आगाज हुआ है। यह आयोजन 13 जनवरी तक तीन दिवसीय रूप में मनाया जाएगा। रामलला के भव्य मंदिर में 22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा की गई थी, लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिष्ठा द्वादशी का मुहूर्त इस वर्ष 11 जनवरी को पड़ रहा है। इस कारण इस पावन तिथि को विशेष रूप से मनाने का निर्णय लिया गया है। महोत्सव के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला का महाभिषेक किया और पूरे मंदिर परिसर को 50 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया है। इस दिन के आयोजनों में वैदिक मंत्रोच्चार और यज्ञ-हवन किए गए, जिनमें आचार्यगण और संत महात्माओं ने विशेष मंत्रों के साथ धार्मिक अनुष्ठान किए। इस महोत्सव में लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी को देखते हुए दूरदर्शन पर कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जा रहा है, ताकि देश-विदेश में बैठे सभी भक्त भी रामलला के दर्शन कर सकें। इस आयोजन में विशेष रूप से 2,000 से अधिक अतिथियों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें प्रमुख धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों का समावेश है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। वहीँ तीन दिनों तक अयोध्या में सभी प्रकार के पास बंद कर दिए गए हैं ताकि अधिकतम लोग बिना किसी रुकावट के रामलला के दर्शन कर सकें। 12 जनवरी को श्रीराम कथा, प्रवचन सत्र और रामलीला का मंचन होगा, जिसमें विशेष रूप से कलाकारों द्वारा रामायण की प्रमुख घटनाओं का सजीव प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही प्रसिद्ध गायिका स्वाति मिश्रा का भव्य गायन कार्यक्रम भी आयोजित होगा, जो रामलला की भक्ति में रंग भरने वाला होगा। 13 जनवरी को महोत्सव के समापन अवसर पर भव्य आरती और धार्मिक अनुष्ठान होंगे, जो समापन के रूप में श्रद्धालुओं के दिलों को शांति और श्रद्धा से भर देंगे।
अयोध्या इस समय भक्ति और श्रद्धा के सागर में डूबी हुई है। पूरे नगर को दीपों और रंगीन बत्तियों से सजाया गया है और हर गली, हर मोहल्ले में राम का नाम गूंज रहा है। मंदिर परिसर के अलावा, शहर भर में हर घर में राम की भक्ति के गीत गाए जा रहे हैं। इस महोत्सव का आयोजन सिर्फ अयोध्या ही नहीं, बल्कि पूरे देश और समाज के लिए एक गौरवपूर्ण अवसर बन चुका है। अयोध्या में आयोजित यह महोत्सव सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और राम के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बन रहा है। यह आयोजन न केवल अयोध्या के लिए, बल्कि पूरी दुनिया में राम के संदेश को फैलाने का एक अभूतपूर्व कदम साबित हो रहा है। प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से यह महोत्सव हम सबको एकता, श्रद्धा और समर्पण की राह दिखा रहा है। श्रद्धालु रामलला के जयकारों के साथ इस महोत्सव में भाग ले रहे हैं।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के एलान के साथ सभी दलों की तरफ से मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए तैयारी तेज कर दी गयी है। BJP और AAP दोनों ही जाट वोटों को अपनी ओर खींचने के लिए कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली में जाट वोटर्स की संख्या लगभग 10 प्रतिशत मानी जाती है। दिल्ली की कई ग्रामीण सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक माने जाते हैं। दिल्ली की करीब 8 ऐसी सीटें हैं जो जाट बहुल है और इन सीटों पर हार और जीत जाट मतों से तय होता रहा है। दिल्ली में जाट समुदाय के पास एक मजबूत सामाजिक और राजनीतिक नेटवर्क है। जाट समुदाय के वोट बैंक को दिल्ली के चुनाव में बेहद प्रभावी माना जाता है। एक समय ऐसा था जब जाट मतों का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिलता था। हालांकि, पिछले चुनावों में कई सीटों पर मतों का बंटवारा देखने को मिला। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के जाटों को केंद्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की मांग कर अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है। बता दें, मौजूदा समय में दिल्ली की जाट बहुल 8 सीटों में से 5 पर अभी आम आदमी पार्टी का कब्जा है, वहीं तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। दिल्ली के ग्रामीण इलाकों की सीटों पर जाट वोटर ही हार-जीत जाट तय करते रहे हैं और यही कारण है की बीजेपी जाट वोटर्स को साधने के लिए लगातार कदम उठा रही है। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नई दिल्ली सीट पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.साहेब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश सिंह वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवेश साहेब सिंह वर्मा के चेहरे को सामने रख बीजेपी जाट वोटर्स को साधना चाहती है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली के जाट समुदाय को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया और भारतीय जनता पार्टी पर जाट वोटर्स की अनदेखी का आरोप लगाया है। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली के जाट समाज के साथ बीजेपी ने बहुत बड़ा धोखा किया है। उन्होंने कहा जाट समाज दिल्ली सरकार की ओबीसी लिस्ट में आता है, लेकिन केंद्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में जाट समाज नहीं आता। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के जाट समाज के लोग जब केंद्र की किसी योजना का लाभ लेने जाते है तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। केजरीवाल ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी ने कई बार दिल्ली के जाट समाज के लोगों को कहा था कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में उन्हें शामिल किया जाएगा लेकिन नहीं किया। बता दें, दिल्ली के जातीय समीकरण और धार्मिक समीकरण की अपनी सियासी अहमियत है। धार्मिक आधार पर देखें तो कुल 81 फीसदी हिंदू वोटर हैं, लेकिन हिंदू समुदाय के वोट कई जाति समूहों में अलग-अलग बंटा रहा है। दिल्ली में हिंदू वोटर्स में सबसे बड़ा प्रभाव जाट समुदाय का देखने को मिलता है। दिल्ली में बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को अरविंद केजरीवाल के सामने उतारकर जाट समुदाय को एक उम्मीद दे दी है कि अगर वह जीतते हैं तो सीएम भी बन सकते हैं। दिल्ली में भाजपा के कद्दावर जाट नेता परवेश साहिब सिंह वर्मा ने आम आदमी पार्टी के जाट आरक्षण के दांव पर पलटवार करते हुए कहा है कि इस बार दिल्ली की देहात की सीटों पर AAP को एक भी सीट नहीं मिलने की संभावना है। परवेश वर्मा का कहना है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली की देहात में लोकप्रियता खो चुके हैं और अब जब वहां जाएंगे तो लोग उन्हें काले झंडे दिखाएंगे।
हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन बहुत सक्रिय रूप से चला है, जबकि दिल्ली में कभी इसके लिए आंदोलन नहीं हुआ। साल 2014 में यूपीए सरकार ने भी हरियाणा समेत 9 राज्यों में जाटों को ओबीसी में लाने का एलान किया पर सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को पिछ़ड़ा मानने से इनकार कर यूपीए सरकार का ऑर्डर कैंसल कर दिया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के भी एक ऑर्डर के बाद 19 सितंबर 2015 को खट्टर सरकार को भी जाट सहित पांच जातियों को आरक्षण देने के नोटिफिकेशन को वापस लेना पड़ा। जाट वोटों के ध्रुवीकरण के चलते दूसरी जातियों का वोट बीजेपी के साथ हो गया. उसके बाद हरियाणा राज्य में लगतार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है। दिल्ली में भी कुछ ऐसा ही हो सकता है, क्यूंकि दिल्ली में तो हरियाणा जितनी बड़ी संख्या जाट समुदाय की नहीं है। ऐसे में दिल्ली में भी जाट वोटर्स का ध्रुवीकरण किसी एक पार्टी की ओर होता है तो गुर्जरों के साथ अन्य ओबीसी जातियां बीजेपी के साथ जा सकती हैं। सवाल तो ये भी उठेगा कि जाटों के आरक्षण की मांग केजरीवाल को चुनावों में ही क्यों याद आई, लोग तो पूछेंगे ही की करीब 12 सालों तक वो दिल्ली के मुख्यमंत्री रहें तब उन्हें जाटों की याद क्यों नहीं आई।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो हर मंच पर अपने दमदार भाषणों से सबका दिल जीतते हैं, अब पॉडकास्ट की दुनिया में एंट्री कर चुके हैं! और वो भी निखिल कामथ के शो में। ये वही निखिल हैं, जो ज़ेरोधा के सह-संस्थापक हैं और फाइनेंस की दुनिया के बड़े नाम हैं। लेकिन इस बार मनी मैटर नहीं, बल्कि ज़िंदगी और सीखों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, "मुझसे भी गलतियां होती हैं। मैं देवता नहीं हूं, एक आम इंसान हूं, और हर गलती से सीखने की कोशिश करता हूं।" अब भला इससे ज्यादा सच्चाई और क्या हो सकती है? करीब दो घंटे लंबी बातचीत में मोदी जी ने अपनी जिंदगी के ऐसे-ऐसे किस्से सुनाए, जिन पर आप कहेंगे ये तो कभी सुना ही नहीं!
पॉडकास्ट की शुरुआत नितिन कामथ के थोड़े नर्वस मूड के साथ हुई। उन्होंने कहा, "मैं आपके सामने बैठा हूं, और घबराहट हो रही है।" इस पर पीएम ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह मेरा पहला पॉडकास्ट है। मुझे भी नहीं पता कि ये आपके ऑडियंस को कैसे लगेगा।" नितिन ने कहा आजकल हर दूसरा बंदा राजनीति में आना चाहता है, इस पर पीएम ने क्लियर कर दिया कि "राजनीति करियर बनाने का प्लेटफॉर्म नहीं है। इसमें महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि मिशन के साथ आना चाहिए।" ये लाइन सुनकर कई 'फ्यूचर लीडर्स' को सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा। जब वैश्विक राजनीति और युद्धों की बात हुई, तो पीएम ने साफ कहा, "मैं तटस्थ नहीं हूं, मैं शांति का पक्षधर हूं।" उन्होंने बताया कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है। पॉडकास्ट में पीएम ने एक मजेदार वाकया भी शेयर किया। 2014 में जब वे प्रधानमंत्री बने, तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "मैं गुजरात और आपके गांव वडनगर जाना चाहता हूं।" कारण? वडनगर में चीनी दार्शनिक ह्वेनसांग ने सबसे लंबे समय तक निवास किया था और जब वे चीन लौटे, तो शी जिनपिंग के गांव में रहे थे।
गुजरात के छोटे से गांव से निकलकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर इतना आसान नहीं था। उन्होंने बताया, "चाय बेचते-बेचते मैंने लोगों से बातें करना और उनकी परेशानियां समझना सीखा।" मोदी जी ने 2002 की गोधरा घटना का जिक्र किया। पहली बार विधायक बनने के तीन दिन बाद ये त्रासदी हुई। उन्होंने बताया, "अधिकारियों ने कहा कि हेलीकॉप्टर वीआईपी के लिए है। मैंने कहा, मैं वीआईपी नहीं हूं, मैं आम आदमी हूं।" उन्होंने ओएनजीसी का सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर लिया और ग्राउंड ज़ीरो पहुंचे। मोदी जी ने अपने जीवन के तीन मंत्र बताए जिसमे मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा, मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा और मुझसे गलतियां हो सकती हैं, लेकिन बदइरादे से कुछ नहीं करूंगा। निखिल कामथ के सवाल और पीएम मोदी के जवाब इतने गहरे और दिलचस्प थे कि हर सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो गया।