क्या आप जानते हैं? कौन है वह व्यक्ति जिसने ग्रामीण भारत को रोशन किया और अब भारत के बैंकिंग क्षेत्र को दिशा देने जा रहा है? वह कौन है जिसने आईआईटी से पढ़ाई की, प्रिंसटन में नीतियां सीखी, और अब भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी ली? ऐसा कौन है जो राजस्व, ऊर्जा और बैंकिंग तीनों में महारत रखता है और अब देश का 26वां RBI गवर्नर बनने जा रहा है? उनका नाम है Revenue Secretary Sanjay Malhotra !
संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का 26वां गवर्नर नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब भारतीय अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर चुनौती का सामना कर रही है। इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने से लेकर, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और बैंकिंग सेक्टर में तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण तक। इसके साथ ही मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद संजय मल्होत्रा देश की आर्थिक कमान संभालेंगे।
संजय मल्होत्रा एक ऐसा नाम हैं, जो 1990 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी होने के साथ-साथ, आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (यूएसए) से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री धारक भी हैं। उन्होंने सरकारी सेवाओं में अपने तीन दशक लंबे करियर के दौरान ऊर्जा, वित्तीय सेवा और राजस्व जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संजय मल्होत्रा राजस्थान में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) को बढ़ावा दिया और बिजली वितरण में नवाचार किए। इसके अलावा वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव और वित्तीय सेवा सचिव के तौर पर उन्होंने टैक्स रिफॉर्म्स और बजट से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य किए है। उन्होंने Rural Electrification Corporation (REC) के चेयरमैन के रूप में काम किया, जहां उन्होंने ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए कई नीतिगत सुधार लागू किया है। संजय मल्होत्रा को भारतीय रिज़र्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है। जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से डिजिटल वित्तीय सुधारों की ओर बढ़ रही है। उनकी नियुक्ति से आर्थिक नीतियों में स्थिरता और आधुनिक दृष्टिकोण की अपेक्षा की जा रही है। उनकी विशेषज्ञता ऊर्जा, वित्त, और प्रशासनिक सुधारों में है, जो उनके भविष्य के कार्यकाल को और महत्वपूर्ण बनाती है। उन्होंने अपने करियर में कई अहम पदों पर कार्य किया है जैसे: इस पद पर उन्होंने कर प्रणाली को डिजिटल रूप से मजबूत करने, राजस्व संग्रह में सुधार और तस्करी के मामलों पर प्रभावी कार्रवाई के प्रयास किया है।इसके अलावा संजय नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को जनहित में सुधारने और इसे व्यापक रूप से लागू करने में मदद की है।
शक्तिकांत दास ने गवर्नर के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से COVID-19 के दौरान। उन्होंने नीतिगत दरों को संभालकर अर्थव्यवस्था को स्थिर करने का काम किया। उनकी जगह लेना मल्होत्रा के लिए चुनौतीपूर्ण लेकिन प्रेरणादायक होगा।
10 दिसंबर को माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में कार्य सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसमें संसदीय कामकाजी प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव दिए गए। कार्य सलाहकार समिति का उद्देश्य संसदीय कार्यों को बेहतर बनाना और संसद की कार्यप्रणाली को पारदर्शी तथा प्रभावशाली बनाना है। बैठक में भाग लेने वाले नेताओं में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू, और राज्यसभा के सदस्य मुरुगन, तिरुचि शिवा, किरण रिजिजू, प्रमोद तिवारी, और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे।
जे. पी. नड्डा जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष है उन्होंने बैठक में पार्टी के दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया। इसके अलावा इस बैठक में किरन रिजिजू (केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री) ने कानून में सुधार और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीँ मुरुगन, मीडिया और सार्वजनिक संचार नीति पर सरकार की योजनाओं को साझा करने में सक्रिय रहे। इस मीटिंग में तिरुचि शिवा मौजूद रहे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के कल्याण के मुद्दों पर विचार प्रस्तुत किए। इसके साथ ही इस बैठक में मानवाधिकारों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई, और यह समझा गया कि कैसे ये अधिकार एक शांतिपूर्ण, समतावादी और न्यायपूर्ण समाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में मानवाधिकारों का संरक्षण लोकतांत्रिक शासन के मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य करता है। बैठक के दौरान, श्री धनखड़ ने संसद की कार्यवाही के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की और प्रस्तावित सुधारों पर विचार किया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि संसद की कार्यप्रणाली को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ बेहतर तरीके से जोड़ा जा सकता है। कार्य सलाहकार समिति के सदस्यों ने इस दिशा में अपने सुझाव दिए और एक मजबूत लोकतंत्र की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर यह भी कहा गया कि भारत में मानवाधिकारों की स्थिति, देश के लोकतांत्रिक और समावेशी समाज के आधार को मजबूत करती है। श्री धनखड़ का यह बयान न केवल मानवाधिकारों की प्रासंगिकता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्य मानवाधिकारों के संवर्धन के लिए मजबूत आधार प्रदान करते हैं। यह कार्यक्रम न केवल मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया था, बल्कि इसका उद्देश्य यह भी था कि देश और दुनिया भर में मानवाधिकारों के महत्व को पुनः स्थापित किया जाए।
10 दिसंबर को, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने मानवाधिकार दिवस के अवसर पर अपने X हैंडल पर एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 76वीं वर्षगांठ का जिक्र किया। उन्होंने इस दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दस्तावेज़ दुनिया भर में समानता, गरिमा और न्याय के लिए एक आधारशिला है, जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता या विश्वास से परे सभी व्यक्तियों के अधिकारों को सुनिश्चित करता है। श्री धनखड़ ने इस वर्ष की मानवाधिकार दिवस की थीम, "हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी" का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मानवाधिकारों की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देती है, जो एक शांतिपूर्ण, समतावादी, और न्यायपूर्ण भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने भारत के सदियों पुरानी सभ्यता और संस्कृति का जिक्र किया, जो इन सार्वभौमिक आदर्शों के लिए एक मजबूत समर्थक रही है। उपराष्ट्रपति ने इस ट्वीट के जरिए भारत के संविधान के आदर्शों और मानवाधिकारों के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दोहराया और सभी नागरिकों से अपील की कि वे एक ऐसे भविष्य के निर्माण के लिए मिलकर काम करें, जहां हर व्यक्ति सम्मान के साथ जी सके और उत्पीड़न से मुक्त हो।
आज दिल्ली के द्वारका स्थित यशोभूमि (IICC) में आयोजित प्रथम भारतीय समुद्री विरासत कॉन्क्लेव का उद्घाटन माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने किया। भारत के समुद्री इतिहास और परंपराओं को उजागर करने का ये एक बड़ा कदम है। इस कार्यक्रम में भारत के 10,000 वर्षों के समृद्ध समुद्री इतिहास पर प्रकाश डाला गया। जिसमें भाषा, साहित्य, कला, और वास्तुकला के साथ समुद्री संस्कृति के जुड़ाव की चर्चा की गई। इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारत के समुद्री इतिहास और परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना है। इस अवसर पर श्री धनखड़ ने कहा कि भारत अब औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होकर अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व कर रहा है। उन्होंने भारत की समुद्री परंपराओं को देश के विकास का मार्गदर्शक बताया और डिजिटल परिवर्तन को आवश्यक बताते हुए इसे प्रशासन में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह कार्यक्रम भारत सरकार के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय की पहल है। इसमें कई प्रमुख इतिहासकार, पुरातत्वविद, और वैश्विक विशेषज्ञ शामिल हुए। यह भारत को "वसुधैव कुटुंबकम" और "विश्वगुरु" के दृष्टिकोण के करीब ले जाने का एक प्रयास माना जा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भी इस कॉन्क्लेव का हिस्सा रहे। इसमें Ministry of Ports, Shipping, and Waterways शामिल था। यह आयोजन पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की एक पहल थी, जो भारतीय समुद्री इतिहास और तटीय संस्कृति को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए किया गया। मंत्रालय ने कॉन्क्लेव के प्रबंधन, विशेषज्ञों की भागीदारी, और सत्रों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सागरमाला परियोजना का हिस्सा है, जो भारत को समुद्री व्यापार और तटीय विकास में विश्व नेता बनाने की योजना है। इसके अलावा सर्बानंद सोनोवाल (केंद्रीय मंत्री) सर्बानंद सोनोवाल, जो पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री हैं, ने कार्यक्रम में भारत की समुद्री शक्ति और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत को वैश्विक समुद्री मानचित्र पर लाने के लिए ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) के महत्व और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर चर्चा की। भूपेंद्र यादव, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री हैं, ने समुद्री पर्यावरण की स्थिरता और संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बात की। उन्होंने तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। इस कॉन्क्लेव के जरिये ये हैशटैग #IMHC2024 काफी चर्चा में चला। इस कॉन्क्लेव में समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा और ब्लू इकॉनमी (Blue Economy) को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर चर्चा हुई।
माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ का स्वागत जयपुर, राजस्थान में राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े, राजस्थान सरकार के मंत्री सुरेश सिंह रावत, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। उनका यह दौरा कई सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों पर केंद्रित था।
राजस्थान में उपराष्ट्रपति ने महारानी कॉलेज, जयपुर में छात्रों और शिक्षकों से "राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका" पर बातचीत की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में महिलाओं की सहभागिता को बढ़ावा देना था। इसके बाद, उन्होंने टोंक जिले के दिग्गी स्थित श्री कल्याणरायजी मंदिर का दौरा किया और वहां पूजा-अर्चना की। इसके बाद कोटा में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मयोगियों को सम्मानित किया। इसका उद्देश्य सेवानिवृत्त कर्मियों के योगदान को मान्यता देना था। कोटा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत के कृषि क्षेत्र में विकास और युवाओं की भूमिका पर बल दिया।
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने उपराष्ट्रपति के आगमन पर उनका औपचारिक स्वागत किया और पूरे दौरे में उनकी सहभागिता सुनिश्चित की। वहीँ सुरेश सिंह रावत ने राज्य सरकार की ओर से उपराष्ट्रपति के कार्यक्रमों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा राजेंद्र बंबू ने इवेंट्स के संगठन और स्थानीय नेतृत्व के माध्यम से उपराष्ट्रपति के संदेश को जनता तक पहुंचाने में योगदान दिया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य समाज में राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देना और विभिन्न क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों को रेखांकित करना था। उपराष्ट्रपति ने "आर्थिक राष्ट्रवाद" का आह्वान करते हुए घरेलू उत्पादन और स्थानीय संसाधनों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया।