17 साल बाद, मुंबई की ज़मीन पर बिखरे खून के छींटे एक बार फिर गवाही दे रहे हैं कि इंसाफ़ देर से ही सही, मगर आता ज़रूर है। 26/11 हमले का मास्टरमाइंड और डेविड कोलमैन हेडली का करीबी तहव्वुर हुसैन राणा अब भारत की जांच एजेंसी NIA की गिरफ्त में है। गुरुवार देर रात, NIA ने राणा को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया और 20 दिन की रिमांड की मांग की। अदालत ने 18 दिन की कस्टडी की मंजूरी दे दी है। लेकिन इस पेशी में सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं थी, यह उस साजिश के परतों को खोलने की शुरुआत थी, जिसने 2008 में भारत की आर्थिक राजधानी को लहूलुहान कर दिया था। कोर्ट में पेश सबूतों के मुताबिक, डेविड हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा था – एक ऐसा दस्तावेज़ जो इस पूरी आतंकी साजिश का 'ब्लूप्रिंट' था। इस मेल में बताया गया था कि ऑपरेशन के लिए किन चीज़ों की जरूरत है, कितना पैसा लगेगा, और किन लोगों की भूमिका रहेगी। इसी मेल में हेडली ने इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान जैसे आतंकियों की संलिप्तता का भी खुलासा किया था। NIA के मुताबिक, यह मेल राणा की भूमिका को ‘मुख्य साजिशकर्ता’ के दायरे में ले आता है। इसका मतलब साफ है – राणा सिर्फ एक जानकार नहीं, बल्कि इस नरसंहार की योजना में साझेदार था। राणा की ओर से दिल्ली लीगल सर्विसेज के वकील पीयूष सचदेवा ने दलीलें पेश कीं। अदालत ने अभी फ़ैसला सुरक्षित रखा है। वहीं NIA इस बात का पूरा ख्याल रख रही है कि राणा पूछताछ के दौरान खुद को कोई नुकसान न पहुंचा सके। भारत की न्याय प्रणाली अब इस कड़ी से कड़ी जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रही है। हर 48 घंटे में मेडिकल जांच, पूछताछ की रिकॉर्डेड डायरी, और आखिरी दौर में राणा का डिस्क्लोज़र स्टेटमेंट – ये सब केस डायरी का हिस्सा बनेंगे।
राजधानी दिल्ली में आज सुबह पश्चिम विहार के स्टेट बैंक नगर में बेखौफ बदमाशों ने प्रॉपर्टी डीलर राज कुमार दयाल को गोलियों से छलनी कर दिया। वारदात इतनी फिल्मी, इतनी सटीक और इतनी बेखौफ थी कि अब लोग पूछने लगे हैं—क्या दिल्ली में अब सिर्फ़ अपराधी ही सुरक्षित हैं? सुबह करीब सात बजे का वक्त था। राज कुमार दयाल रोज की तरह अपनी फॉर्च्यूनर में बैठे थे, शायद किसी साइट विज़िट या डील के सिलसिले में बाहर निकलने ही वाले थे। तभी अचानक मोटरसाइकिल या कार सवार बदमाश आए, और बिना किसी झिझक या जल्दबाज़ी के, सीधे कार पर फायरिंग शुरू कर दी। चश्मदीदों के मुताबिक़, करीब दर्जन भर गोलियां चलाई गईं—जो ये साबित करने के लिए काफी हैं कि हत्या किसी रैंडम झगड़े का नतीजा नहीं, बल्कि एक रची हुई स्क्रिप्ट थी। फायरिंग की आवाज़ सुनते ही पूरा इलाका कांप उठा। कई लोग अपने घरों की खिड़कियों से झाँकते रहे, कुछ घटनास्थल की ओर भागे, तो कुछ ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। लेकिन जब तक दिल्ली पुलिस मौके पर पहुंचती, तब तक राज कुमार दयाल अपनी आख़िरी साँस ले चुके थे—उनका शरीर कार की सीट पर ढह चुका था और बदमाश दिल्ली की हवा में गुम हो चुके थे। पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर लिया है और कई टीमों का गठन किया गया है। शुरुआती पूछताछ में परिजनों ने किसी से दुश्मनी की बात से इनकार किया है। मगर पुलिस इसे 'क्लीन क्राइम' मान रही है—जहाँ कोई सुराग न छोड़ा गया हो, और रेकी भी लंबे वक्त से की गई हो। हत्या की योजना सुनियोजित थी, और इस बात की पूरी संभावना है कि हमलावर राज कुमार की दिनचर्या से अच्छी तरह वाकिफ थे।
क्या प्रॉपर्टी डीलिंग के कारोबार में कोई पुरानी दुश्मनी इस हत्याकांड की वजह बनी? या फिर किसी ने पैसों या जमीन के झगड़े में ये ‘सुपारी किलिंग’ करवाई? क्या CCTV फुटेज से कुछ सुराग मिलेगा, या बदमाशों ने पहले ही कैमरे की दिशा तय कर रखी थी? इन सभी सवालों के जवाब अभी धुंध में हैं, लेकिन एक बात साफ़ है दिल्ली की सड़कों पर अब किसी का भरोसा नहीं बचा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हाथ मिला लिया है। इसकी घोषणा खुद केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह ने चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की, जिसमें AIADMK के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ई.के. पलानीस्वामी उनके साथ मौजूद रहे। शाह ने एलान किया कि तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य स्तर पर पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उन्होंने साफ कर दिया कि यह महज सीटों का गठबंधन नहीं, बल्कि वर्षों पुराने भरोसे और वैचारिक समरसता का पुनर्जन्म है। "जयललिता जी और अटल जी के समय से शुरू हुआ साथ, अब मोदी और पलानीस्वामी की जोड़ी में फिर लौट रहा है। ये गठबंधन न लाभ का सौदा है, न शर्तों का बोझ बल्कि एक साझा सपना है, तमिलनाडु के उज्जवल भविष्य का," शाह ने कहा। गृह मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा AIADMK के आंतरिक मामलों में कोई दखल नहीं देगी। उन्होंने कहा, “एआईएडीएमके ने कोई शर्त नहीं रखी है, और भाजपा का रवैया भी साफ है—हम सहयोगी हैं, मालिक नहीं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव के बाद सरकार में भाजपा शामिल होगी या नहीं, इसका निर्णय परिस्थिति के अनुसार लिया जाएगा। अमित शाह ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनकी पार्टी डीएमके पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान राज्य सरकार भ्रष्टाचार की गंगोत्री बन चुकी है। “39,000 करोड़ रुपये के घोटालों की सूची है हमारे पास चाहे शराब घोटाला हो या मनरेगा में घपला। स्टालिन सरकार ने जनता की गाढ़ी कमाई को लूट का सामान बना दिया है,” शाह गरजे। उन्होंने कहा कि डीएमके शासन ने राज्य की अर्थव्यवस्था को खोखला कर दिया है और अब धार्मिक और भाषायी भावनाएं भड़का कर असल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है। “सनातन धर्म, हिंदी विरोध—ये सब डीएमके का पुराना हथियार है, लेकिन अब जनता इन छलावों को समझ चुकी है,” उन्होंने जोड़ा। शाह ने इस गठबंधन को "राजनीतिक भूचाल" करार देते हुए दावा किया कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में एनडीए को बहुमत मिलेगा। उन्होंने कहा, “यह गठबंधन तमिलनाडु की आत्मा की आवाज है। यह राज्य बदलाव चाहता है, पारदर्शिता चाहता है, विकास चाहता है। और वो सब अब एनडीए देगा।” अमित शाह ने जयललिता और मोदी के रिश्तों को याद करते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने हमेशा तमिलनाडु के हितों को सर्वोपरि रखा। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि जैसे 1998 में 39 में से 30 सीटें एनडीए ने जीती थीं, वैसे ही अब 2025 का जनादेश भी उनके पक्ष में आएगा।
तो अब आगे क्या? तमिलनाडु की राजनीति में यह गठबंधन किस दिशा में जाएगा, सीटों का गणित क्या होगा, और जनता क्या फैसला करेगी ये सब आने वाला समय बताएगा।