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Breaking News 10 October 2025

1 ) चीन की सड़कों पर हाहाकार : लाखों गाड़ियाँ, 24 घंटे का महाजाम

चीन के आन्हुई  प्रांत से इन दिनों ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो किसी सिनेमा फ्रेम से कम नहीं दिखतीं, सड़कों पर किलोमीटरों तक पसरी हुई लाल टेल लाइटों की कतारें, जिनके बीच गाड़ियाँ घंटों से रुकी हैं। ये दृश्य चीन के Wuzhuang Toll Station , Anhui  का है, जहाँ Golden Week Holidays के खत्म होते ही देश के इतिहास का सबसे बड़ा ट्रैफिक जाम देखने को मिला।

क्या है पूरा मामला?

1 अक्टूबर को चीन में National Day मनाया गया। यह सप्ताह चीन में ‘Golden Week’ के नाम से जाना जाता है  यानी एक हफ्ते तक की सरकारी छुट्टियाँ, जब देशभर में यात्रा और पर्यटन का उछाल देखा जाता है। इस साल ये छुट्टियाँ Mid-Autumn Festival के साथ जुड़ गईं, जिससे यह अवधि 8 दिनों तक बढ़ गई। इस दौरान चीन में 888 मिलियन से अधिक यात्राएँ (करीब 88 करोड़) दर्ज की गईं।
लोग अपने परिवारों से मिलने, घूमने या घर लौटने के लिए बड़े पैमाने पर यात्रा पर निकले। लेकिन जैसे ही छुट्टियाँ खत्म हुईं, सभी यात्रियों की “वापसी लहर” एक साथ सड़कों पर उतर आई और फिर जो हुआ, उसने चीन के ट्रैफिक रिकॉर्ड तोड़ दिए। ट्रैफिक की स्थिति ऐसी हो गई कि दूर से देखने पर सड़कें लाल रोशनी के समुद्र जैसी दिखीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, टोल प्लाज़ा पर 36 लेन खोली गई थीं, लेकिन आगे जाकर उन्हें चार लेनों में समेटना पड़ा। नतीजा वाहनों की लंबी कतारें कई किलोमीटर तक फैलीं, और ट्रैफिक ठप पड़ गया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक,  सिर्फ इस टोल स्टेशन से लगभग 1.2 लाख वाहन गुजरने की कोशिश कर रहे थे। ड्रोन फुटेज में दिखाई दे रही गाड़ियों की लाल लाइटें न केवल ट्रैफिक की भयावहता दिखा रही थीं, बल्कि यह भी दर्शा रही थीं कि चीन के आधुनिक हाईवे सिस्टम को इस बार कितना दबाव झेलना पड़ा। ट्रैफिक जाम की एक और बड़ी वजह भारी वर्षा भी रही। बारिश के कारण दृश्यता कम हो गई, सड़कें फिसलन भरी रहीं और वाहन नियंत्रित गति में चलने को मजबूर हो गए।
रास्ते में कुछ वाहनों के खराब होने और टोल पर लेन परिवर्तन की असुविधा ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

आंकड़े बताते हैं कितना बड़ा था दबाव

चीन के ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के अनुसार, Self-Driving Trips में इस साल 20% की वृद्धि हुई 
रेलवे नेटवर्क ने पहले दिन 23.13 मिलियन यात्राएं दर्ज कीं यह अब तक का रिकॉर्ड है।
पूरे Golden Week में लोगों ने लगभग 809 अरब युआन (करीब ₹9.3 लाख करोड़) खर्च किए।
इन आंकड़ों ने स्पष्ट किया कि छुट्टियों के आखिरी दिन देश की सड़कों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर कितना बड़ा ट्रैफिक लोड पड़ा। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है  सड़कें पूरी तरह से लाल टेल लाइटों से चमक रही हैं। दूर-दूर तक गाड़ियाँ खड़ी हैं, और ऊपर से गिरती बारिश उस रोशनी को और गहरा बना रही है। लोगों ने इन तस्वीरों को “Red Sea of China” नाम दिया है। इनमें से कई यात्रियों ने Weibo और X पर लिखा कि वे 4 से 6 घंटे तक एक ही जगह फंसे रहे। कई लोगों ने अपनी कारों में खाना खाया, बच्चे सो गए और कुछ ड्राइवर बाहर निकलकर चाय बनाते दिखाई दिए। यह जाम दिखाता है कि भले ही चीन दुनिया के सबसे बड़े हाईवे नेटवर्क में से एक रखता है,लेकिन जब अरबों यात्राएं एक साथ होती हैं, तो सिस्टम की क्षमता भी सीमित पड़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में टोल-फ्री ट्रैवल ज़ोन्स, स्मार्ट रूट मैनेजमेंट, और एआई-आधारित ट्रैफिक नियंत्रण की जरूरत और बढ़ेगी। 2010 में भी चीन के Beijing–Tibet Expressway (G110) पर एक ऐसा ही “Monster Traffic Jam” लगा था, जो 100 किलोमीटर लंबा और 12 दिन तक चला था। लेकिन मौजूदा घटना अलग है  यह चीन के डिजिटल युग की तस्वीर है, जहाँ जाम भी वायरल हो जाता है और सड़कें एक “विजुअल स्पेक्टेकल” बन जाती हैं। ऐसी देश दुनियाभर के ख़बरों से अपडेट रहने के लिए जुड़े रहे ग्रेट पोस्ट न्यूज से.

 

2 ) अयोध्या में हुआ धमाका

अयोध्या  राम की नगरी में गुरुवार शाम एक ऐसा धमाका हुआ कि लोग थर्रा गए। जगह थी पूरा कलन्दर थाना क्षेत्र का पगलाभारी गाँव। एक घर में अचानक ज़ोरदार धमाका हुआ। आवाज़ इतनी तीखी कि गाँव के आधे लोग अपने घरों से बाहर भाग आए। जब धुआँ छटा, तो नज़ारा ऐसा था कि किसी ने देखा नहीं जा रहा था पूरा मकान जमींदोज़, दीवारें मलबे में, और घर में रहने वाले लोग... बस नाम रह गए।

क्या हुआ था?

शाम के करीब 6 बजे का वक्त। गाँव के बीचोंबीच रामकुमार गुप्ता का मकान। अचानक एक धमाका और पूरा घर उड़ गया। पाँच लोगों की मौत। इनमें तीन बच्चे, एक महिला और खुद रामकुमार शामिल हैं। आसपास के दो-तीन मकान भी दरक गए। एक और विस्फोट मलबा हटाने के दौरान हुआ जिससे रेस्क्यू टीम को पीछे हटना पड़ा।

 धमाका क्यों हुआ?

अब यहाँ उलझती है।पुलिस का शुरुआती बयान आया “शायद गैस सिलेंडर फटा।” लेकिन गाँव वाले बोले “नहीं, भाई! ये सिलेंडर नहीं, बारूद था।” दरअसल, गाँव वालों के मुताबिक रामकुमार गुप्ता का परिवार पटाखों का काम करता था। पहले भी (2024 में) इसी घर या परिवार से जुड़ा एक विस्फोट हुआ था। लोगों का कहना है कि घर के अंदर अवैध पटाखे बनाए जा रहे थे, और बारूद का ज़खीरा रखा था। पुलिस और फॉरेंसिक टीम अब जाँच में जुटी है। सिलेंडर के टुकड़े भी मिले हैं, लेकिन साथ ही बारूद जैसे अवशेष भी। अब मामला दो तरफा है  या तो एलपीजी सिलेंडर फटा,  या पटाखों में आग लग गई और सब उड़ गया।  प्रशासन की स्थिति जिलाधिकारी और एसएसपी दोनों मौके पर पहुंचे। फॉरेंसिक टीम ने मलबे के नमूने लिए हैं। अभी तक “आतंकी गतिविधि” जैसी कोई बात सामने नहीं आई।सरकार ने मृतकों के परिवार को मदद देने का आश्वासन दिया है।  गाँव में क्या माहौल है? पगलाभारी गाँव अब डर और मातम में डूबा है। धमाके के बाद लोग रातभर मलबा हटाने में लगे रहे। और जब किसी का शरीर निकला, तो सन्नाटा ऐसा छाया कि बस हवा की सरसराहट सुनाई दी। एक महिला चिल्ला रही थी  “हमरा पूरा घर गइल… हमार बच्चा कहाँ बा?” वो सवाल अब पूरे गाँव में गूंज रहा है “क्यों?” क्यों कोई घर बारूद का गोदाम बन गया? क्यों प्रशासन को पहले पता नहीं चला? और अगर गैस सिलेंडर था तो इतना बड़ा विस्फोट कैसे हुआ। देखते रहे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।