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Breaking News 10 March 2025

1.)  How India Won the Champions Trophy ? 

 

भारतीय क्रिकेट टीम ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के फाइनल में रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को शिकस्त देकर खिताब अपने नाम कर लिया। दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए इस महामुकाबले में भारत ने 252 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 49 ओवर में ही जीत दर्ज कर ली। इस ऐतिहासिक जीत के साथ टीम इंडिया ने कई वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए।  भारतीय टीम किसी एक वेन्यू पर लगातार सबसे ज्यादा मैच जीतने के मामले में टॉप पर पहुंच गई है। दुबई में खेले गए 11 मुकाबलों में टीम इंडिया ने 10 जीत दर्ज की हैं, जबकि एक मैच टाई रहा। इस मामले में न्यूजीलैंड भी संयुक्त रूप से नंबर वन पर है, जिसने डूनेडिन में लगातार 10 मुकाबले जीते हैं। भारत ने इंदौर में भी लगातार 7 मुकाबलों में जीत हासिल की है। भारत ने सबसे ज्यादा बार चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के मामले में ऑस्ट्रेलिया की बराबरी कर ली है। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दो-दो बार यह खिताब जीता है। भारत ने 2013 और 2025 में ट्रॉफी अपने नाम की, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 2006 और 2009 में यह उपलब्धि हासिल की थी। हालांकि, भारत 2002 में श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता भी रह चुका है, जिससे वह इस सूची में ऑस्ट्रेलिया से एक कदम आगे निकल गया है। फाइनल मुकाबला स्पिनर्स के लिए स्वर्ग साबित हुआ। इस मैच में आईसीसी टूर्नामेंट के किसी वनडे मुकाबले में सबसे ज्यादा ओवर स्पिनर्स ने फेंके। भारत और न्यूजीलैंड के बीच इस मैच में स्पिन गेंदबाजों ने कुल 73 ओवर डाले, जो कि एक रिकॉर्ड है। इससे पहले चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के सेमीफाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 65.1 ओवर स्पिनर्स ने फेंके थे। फाइनल मुकाबले के समापन समारोह में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के अधिकारियों को मंच पर नहीं बुलाया गया, जिससे विवाद खड़ा हो गया। सूत्रों के मुताबिक, पीसीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमैर अहमद दुबई स्टेडियम में मौजूद थे, लेकिन उन्हें आधिकारिक समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया। अहमद इस टूर्नामेंट के डायरेक्टर भी थे, लेकिन आईसीसी के इस कदम ने पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड की स्थिति को और अधिक विवादों में डाल दिया। भारतीय क्रिकेट के पूर्व दिग्गज गौतम गंभीर कोच के रूप में आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले गिने-चुने क्रिकेटर्स में शामिल हो गए हैं। उन्होंने 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप बतौर खिलाड़ी जीते थे और अब 2025 चैंपियंस ट्रॉफी बतौर कोच जीतकर इस एलीट लिस्ट में जगह बना ली है। इस लिस्ट में राहुल द्रविड़, ऑस्ट्रेलिया के डैरेन लेहमैन और ज्योफ मार्श, और दक्षिण अफ्रीका के गैरी कर्स्टन शामिल हैं। गौतम गंभीर से पहले राहुल द्रविड़ भी यह कारनामा कर चुके हैं। 2024 में उनके कोच रहते भारतीय टीम ने टी20 वर्ल्ड कप जीता था। बतौर खिलाड़ी वे 2002 में चैंपियंस ट्रॉफी विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे, जो श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता घोषित हुई थी। यह जीत भारत के क्रिकेट प्रभुत्व को और मजबूत करती है और अगले आईसीसी टूर्नामेंट्स के लिए टीम इंडिया को आत्मविश्वास से भर देती है।

 

 

2.)  इंडिया की जीत के बाद मध्य प्रदेश में क्यों हुआ पथराव ? 

 

भारतीय क्रिकेट टीम की चैंपियंस ट्रॉफी जीत का जश्न उस वक्त हिंसा में बदल गया जब महू में जुलूस के दौरान पथराव शुरू हो गया। देखते ही देखते दो गुट आमने-सामने आ गए और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। उपद्रवियों ने कई दुकानों और वाहनों में आग लगा दी, जिससे पूरे इलाके में तनाव फैल गया। 

आइये जानते है कि कैसे भड़की हिंसा?

रविवार रात 10:30 बजे, जब भारत की जीत का जश्न मनाने के लिए लोग जुलूस निकाल रहे थे, तभी जामा मस्जिद क्षेत्र में पटाखे फोड़ने को लेकर विवाद हो गया। इस दौरान कुछ लोगों ने जुलूस पर अचानक पथराव शुरू कर दिया, जिससे माहौल गरम हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार क्रिकेट की जीत का जश्न मना रहे लोगों पर सुनियोजित तरीके से पथराव किया गया। हिंसा की कुछ वीडियो फुटेज में उपद्रवी हथियारों से लैस नजर आ रहे हैं। पत्थरबाजी के बाद गुस्साए लोगों ने दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। उपद्रवियों ने पेट्रोल बम फेंककर आगजनी को और भड़काने की कोशिश की हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को मौके पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। मानक चौक, पत्ती बाजार, मार्केट चौक, कनॉट रोड, गफ्फार होटल मार्ग, सब्जी मार्केट समेत कई इलाकों में हिंसा फैल गई। इसमें 2 घर, 4 दुकानें और एक मैजिक वाहन को नुकसान पहुंचा। एक दर्जन से अधिक वाहन जला दिए गए और कई दुकानों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस के मुताबिक, उपद्रवी सुनियोजित तरीके से हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे थे, जिससे इलाके में दहशत का माहौल बन गया। एएसपी रूपेश द्विवेदी ने बताया कि "स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन इलाके में तनाव बना हुआ है। कुछ लोग आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद हालात बिगड़ गए। हमने उपद्रवियों की पहचान शुरू कर दी है और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।" हिंसा के बाद इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि कोई और अप्रिय घटना न हो। पुलिस के आला अधिकारी खुद स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। महू में प्राचीन शीतला माता मंदिर पर पथराव की घटना के बाद हिंदू संगठनों ने भी सड़कों पर मोर्चा खोल दिया है। हिंदू संगठनों ने मांग की है: हिंसा भड़काने वालों की तत्काल गिरफ्तारी हो। उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं। सभी आरोपियों पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई हो। इंदौर देहात एसपी हितिका वासल ने बताया कि "अब तक 12 से 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।" महू से बीजेपी विधायक उषा ठाकुर ने हिंसा को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि "टीम इंडिया की जीत का जश्न मना रहे राष्ट्रवादी लोगों पर हमला करना राष्ट्रद्रोह है। यह काम उन्हीं ताकतों का है जो देश की अखंडता को कमजोर करना चाहती हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। हम रासुका के तहत केस दर्ज करेंगे और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।"स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। पुलिस और प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की है। अब सभी की नजरें प्रशासन पर टिकी हैं कि क्या सच में आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई होगी या मामला यूं ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

 

3. दिल्ली में हाइवे जाम क्यों ? 

 

देश की राजधानी में एक बार फिर गोली की गूंज से सनसनी फैल गई। पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में सोमवार रात 32 वर्षीय रोहित की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इस जघन्य वारदात से गुस्साए परिजनों और स्थानीय लोगों ने अक्षरधाम-गाजियाबाद रोड पर हंगामा खड़ा कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर चक्का जाम कर दिया, जिससे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे ठप पड़ गया और हजारों लोग घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहे। रोहित गाजीपुर लैंडफिल साइट पर ट्रांसपोर्ट का काम देखता था। सोमवार रात जब वह घर लौट रहा था, तभी अज्ञात हमलावरों ने उसे निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। खून से लथपथ रोहित को एलबीएस अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वारदात के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। सुबह होते ही परिजनों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा। उन्होंने अक्षरधाम-गाजियाबाद रोड पर प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे हाईवे पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। ऑफिस जाने वाले लोग, स्कूल बसें और यहां तक कि एंबुलेंस भी इस जाम में फंस गईं। कई किलोमीटर तक गाड़ियां रेंगती रहीं, लेकिन हालात काबू में नहीं आए। घटना के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई। ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के एडिशनल डीसीपी-1 विनीत कुमार ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। वहीं, गाजीपुर मंडी में तैनात एसीपी इंदिरापुरम अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि हालात को देखते हुए बॉर्डर पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। हालांकि, कई घंटों तक चले हंगामे के बाद दोपहर के बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लिया और जाम खुलवाया। मगर सवाल जस का तस बना हुआ है आखिर कब तक दिल्ली की सड़कों पर गोलियां चलेंगी? कब तक अपराधी बेखौफ घूमते रहेंगे और आम आदमी मौत के मुंह में जाता रहेगा? हत्या के पीछे की साजिश क्या थी? क्या रोहित को पहले से धमकी मिल रही थी? या फिर यह किसी गैंग का खेल था? पुलिस इन सवालों के जवाब तलाश रही है, लेकिन जनता को कब तक इंतजार करना पड़ेगा। ये तो वक़्त ही बताएगा तब तक के लिए देखते रहे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।

 

4.) Democracy in Danger 

 

बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत के साथ ही विपक्ष ने चुनाव आयोग और मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों पर सवालों की बौछार कर दी। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और मांग की कि "पूरे देश में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं, विपक्षी दल लगातार इस पर बहस की मांग कर रहे हैं। यह सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन चुका है।" राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार भले ही प्रत्यक्ष रूप से मतदाता सूची तैयार न करती हो, लेकिन इस पूरे सिस्टम की निष्पक्षता पर गंभीर संदेह है। उनका कहना था कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और असम जैसे राज्यों में मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियों की शिकायतें लगातार आ रही हैं। विपक्षी दलों ने एक स्वर में इसकी जांच और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। राज्यसभा में इस मुद्दे को वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल ने भी जोरदार तरीके से उठाया। उनका आरोप था कि "अगर चुनाव आयोग सरकार के लिए ही काम करता रहा, तो यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि दिखावा बनकर रह जाएगा। हमें कई वर्षों से इस सिस्टम पर संदेह है। ज़मीन पर क्या हो रहा है, यह सबको पता है लेकिन सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।" सिब्बल के बयान से विपक्ष में और ज्यादा आक्रोश देखने को मिला। उनका कहना था कि अगर इस तरह की अनियमितताएं जारी रहीं, तो चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवालिया निशान लग जाएगा। इस पूरे मुद्दे को तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी आक्रामक तरीके से उठाया। पार्टी के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने संसद में दावा किया कि मतदाता सूची में बड़ी गड़बड़ियां हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हवाला देते हुए कहा, "मुर्शिदाबाद और बर्दवान संसदीय क्षेत्रों में एक ही ईपीआईसी (चुनावी फोटो पहचान पत्र) संख्या वाले कई मतदाता पाए गए हैं। इससे यह साफ होता है कि सिस्टम में भारी खामियां हैं और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।" टीएमसी ने अपनी शिकायतों को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल तैयार किया है, जो जल्द ही मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात करेगा। उनकी मांग है कि मतदाता सूचियों की व्यापक जांच और संशोधन किया जाए, खासतौर पर पश्चिम बंगाल और असम में, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। संसद में बहस के दौरान विपक्ष ने चुनाव आयोग से इस मामले पर स्पष्ट जवाब देने की मांग की। टीएमसी नेता सौगत रॉय ने कहा, "चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर मतदाता सूची में इतनी गड़बड़ियां क्यों हो रही हैं? अगर निष्पक्ष चुनाव कराना उनका कर्तव्य है, तो फिर ये गंभीर खामियां बार-बार क्यों सामने आ रही हैं?" उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और असम में मतदाता सूची से जुड़ी शिकायतें सिर्फ 'गड़बड़ी' नहीं, बल्कि एक बड़े साजिश का हिस्सा भी हो सकती हैं। यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठना तय है। इस पूरे विवाद ने देश में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार, चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच तनातनी और बढ़ सकती है। तब तक के लिए देखते रहिये ग्रेट पोस्ट न्यूज़।