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Breaking News 10 January 2025

1.) INDI ब्लॉक ने दिया AAP को सपोर्ट, कांग्रेस को दिखाया ठेंगा 

 

चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान किया जायेगा और 8 फरवरी को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। चुनाव में एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है, वहीं तीसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस मुकाबले से फिलहाल गायब दिख रही है। दिल्ली में जैसे-जैसे चुनावी माहौल गर्म होता जा रहा है, BJP और AAP के बड़े नेता प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं। BJP की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के चुनाव कैंपेन की अगुवाई कर रहे हैं और विकास से जुड़ी योजनाओं का उद्घाटन कर नए प्रोजेक्ट्स का ऐलान कर रहे हैं, तो वहीं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल BJP के हर हमले का जवाब देने के लिए मैदान में पूरी तरह से सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अब तक न तो मैदान में दिखाई दिया है और न ही चुनाव को लेकर उसकी सक्रियता दिखाई दे रही है। कांग्रेस जिसने एक समय पर शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली पर 15 साल तक राज किया था, पिछले चुनाव से लेकर अबतक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में संघर्ष करती नजर आ रही है, खासकर इसलिए क्योंकि पार्टी के बड़े नेता दिल्ली के चुनावी मैदान से गायब हैं। कांग्रेस असमंजस की स्थिति में नजर आ रही है, वह अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर जोरदार हमला करे या उन पर नर्म रहे। अगर कांग्रेस AAP पर खुलकर हमला करती है, तो इससे इंडि गठबंधन में दरार आ सकती है। AAP और तृणमूल कांग्रेस जैसी क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस नेतृत्व खासतौर पर राहुल गांधी पर सहयोगियों को साथ लेकर न चलने का आरोप लगाती रहीं हैं। इसी बीच खबर आ रही है की विपक्षी गठबंधन में शामिल ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत की उम्मीद जताई है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है की दिल्ली में तो कांग्रेस भी चुनाव लड़ रही है, लेकिन लगता है कि TMC को कांग्रेस से बीजेपी के लिए किसी तरह की चुनौती की संभावना नहीं नजर आती। TMC नेता कुणाल घोष ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि हम लोग यह उम्मीद करेंगे कि आम आदमी पार्टी की सरकार फिर से आए। दिल्ली के लोग बीजेपी को हराएंगे। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि AAP को एक बार फिर दिल्ली में काम करने का मौका मिलना चाहिए, हम अरविन्द केजरीवाल के साथ खड़े हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडि ब्लॉक के टूटने के सवाल पर तेजस्वी यादव ने कहा, ये पहले से ही तय था कि इंडि ब्लॉक लोकसभा के लिए है और अभी हमारी पार्टी ने फैसला नहीं लिया है कि दिल्ली में चुनाव लड़ेंगे या नहीं। 

इंडि गठबंधन में दिखने लगी फूट

दिल्ली में चुनाव प्रचार का मुद्दा कांग्रेस के लिए दोधारी तलवार जैसा बन गया है। बता दें, दिल्ली में कांग्रेस को या तो इंडि ब्लॉक के अपने सहयोगी AAP के खिलाफ प्रचार करना होगा, जिससे गठबंधन टूटने का खतरा है या फिर अपने खिसकते वोट बैंक को वापस पाने की लड़ाई लड़नी होगी। दिल्ली कांग्रेस के नेता अजय माकन ने खुलकर कहा है कि कांग्रेस की सबसे बड़ी गलती साल 2013 में AAP को समर्थन देना और 2019 के लोकसभा चुनाव में उससे गठबंधन करना था। उनका मानना है कि AAP ने कांग्रेस को कमजोर करने और उसके वोट बैंक पर कब्जा करने में अहम भूमिका निभाई है। स्थानीय स्तर पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच गहरा अविश्वास है। कांग्रेस ने जहां अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित और सीएम पद की उम्मीदवार आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को उतारा है, इससे दोनों दलों के रिश्ते और खराब हुए हैं। कांग्रेस के रुख को लेकर AAP को यह चिंता सता रही है कि कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ उसके अभियान में बाधा डाल रही है। आम आदमी पार्टी का कहना है की कांग्रेस को उसके बड़े नेताओं के खिलाफ बड़े चेहरे उतारने से बचना चाहिए था। कांग्रेस की ओर से गारंटी योजनाओं के ऐलान के तहत 'प्यारी दीदी योजना' लॉन्च की, जिसमें महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया है, इसे AAP की 'महिला सम्मान योजना' का जवाब माना जा रहा है, जिसमें 2,100 रुपये प्रति माह देने की बात कही गई है। सवाल यह है कि महिलाओं के लिए गारंटी योजना का ऐलान पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा से क्यों नहीं कराया गया, जो महिलाओं के मुद्दों को प्रमुखता से उठाती रही हैं। वहीं, राहुल गांधी विदेश यात्रा पर हैं और एक-दो दिन में भारत लौट सकते हैं।

 

2.)  गोरखपुर महोत्सव: कला, संस्कृति और पर्यटन का ग्रैंड शो

 

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव को संजोए हुए, पिछले सात वर्षों में विकास की नई ऊंचाइयों को छू चुका है। इस विकास यात्रा का प्रतीक बन चुका गोरखपुर महोत्सव इस वर्ष भी भव्यता और उत्साह के साथ आयोजित होने जा रहा है। रामगढ़ताल के सामने स्थित चंपा देवी पार्क में 10 से 16 जनवरी तक इस महोत्सव का आयोजन होगा। महोत्सव का उद्घाटन 10 जनवरी को सुबह 11 बजे उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह करेंगे। उद्घाटन समारोह में समीक्षा शर्मा द्वारा गणेश वंदना और गुरु गोरखनाथ मंदिर पर आधारित कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगी। इसके बाद शाम 7 बजे से बॉलीवुड नाइट का आयोजन होगा, जिसमें लोकप्रिय गायक जुबिन नौटियाल अपनी मधुर आवाज से सुरों की महफिल सजाएंगे। इसके बाद 12 जनवरी को समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन होगा, जिसके साथ महोत्सव की स्मारिका 'अभ्युदय' का विमोचन और कलाकारों का सम्मान किया जाएगा। समापन के दिन सूफी नाइट में बॉलीवुड गायिका ऋचा शर्मा अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगी।

संस्कृति और कला का अद्भुत संगम

तीन दिवसीय इस महोत्सव में संस्कृति, कला और परंपरा का संगम देखने को मिलेगा। स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। 11 जनवरी को स्कूल के बच्चों और प्रतिभाशाली युवाओं द्वारा गायन, नृत्य, और नाट्य प्रस्तुतियां होंगी। राजस्थान की लोकनृत्यांगना ममता देवी चकरी नृत्य प्रस्तुत करेंगी, जबकि बुंदेलखंड के जितेंद्र चौरसिया आल्हा गायन का प्रदर्शन करेंगे। भोजपुरी नाइट में गायक रितेश पांडेय की प्रस्तुति समां बांधेगी। महोत्सव के दौरान कई अनूठी प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी जैसे शिल्प प्रदर्शनी में उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, बिहार, और अन्य राज्यों के शिल्पकार अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करेंगे। इसके अलावा आधुनिक फार्मिंग और बागवानी की तकनीकों पर जानकारी दी जाएगी। इसके बाद गीता प्रेस और नेशनल बुक ट्रस्ट सहित कई प्रकाशन घराने साहित्य प्रेमियों के लिए अद्भुत संग्रह प्रस्तुत करेंगे। महोत्सव के अंतर्गत खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा। बैडमिंटन, कुश्ती, फुटबॉल, हाफ मैराथन, और रोइंग जैसे खेल युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे।

रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा

गोरखपुर महोत्सव न केवल सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय उद्योगों के विकास का बड़ा मंच भी बनेगा। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए कला, संस्कृति और परंपरा का यह उत्सव एक अमूल्य अनुभव होगा। महोत्सव के दौरान मुंशी प्रेमचंद कृत नाटक 'निमंत्रण', 'हरिश्चंद्र तारामती', और 'रावण अभी जिंदा है' जैसे नाटकों का मंचन होगा। इसके अलावा भजन सम्राट ओमप्रकाश के नेतृत्व में भजन संध्या आयोजित की जाएगी।

 

3.) बिहार में अनोखे जॉब विज्ञापन का हुआ खुलासा   

 

बिहार के नवादा जिले के कहुआरा गांव के पास एक बगीचे में साइबर ठगी के मामले का खुलासा हुआ है। नवादा जिले में निसंतान महिलाओं को प्रेग्नेंट करो और लाखों कमाओ, ऐसे कई विज्ञापन पिछले कुछ दिनों से हर जगह देखे जा रहे थे। कई लोगों ने विज्ञापन के नीचे दिए गए नंबर पर कॉन्टेक्ट किया और पैसा कमाने के लालच में इस नौकरी के लिए हामी भर दी, लेकिन वो नहीं जानते थे कि आगे उनके साथ कमाई के नाम पर ठगी होने वाली है। बता दें, एक सूचना के आधार पर साइबर थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने छापेमारी कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को थाना लाया गया, जहां उनसे सघन पूछताछ की गई। पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपी महिलाओं को प्रेग्नेंट कराने और अन्य आकर्षक सेवाओं के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे थे। DSP मुख्यालय ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि पकड़े गए सभी अपराधी 'ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब' और 'प्ले बॉय सर्विस' के नाम पर भोले-भाले युवाओं को जाल में फंसाते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से छह मोबाइल फोन बरामद किए हैं। इन मोबाइलों में ठगी से संबंधित व्हाट्सएप चैट, फोटो, ऑडियो और वित्तीय लेन-देन से जुड़े कई साक्ष्य पाए गए हैं। गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी नारदीगंज थाना क्षेत्र के कहुआरा गांव के निवासी हैं। उनकी पहचान प्रिंस राज उर्फ पंकज कुमार, भोला कुमार और राहुल कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने सभी अपराधियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और भोले-भाले लोगों को ठगने में जुटा हुआ था। मामले में आगे की जांच जारी है।

कैसे फंसाता था लोगों को अपने जाल में गिरोह?

 

बिहार के नवादा जिले में ठगी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर दिमाग चकरा जाएगा। यहां से संचालित गिरोह सोशल मीडिया और फोन कॉल्स के जरिए युवकों को अपने जाल में फंसाते थे। उनको बताया जाता था कि जिन महिलाओं को बच्चा नहीं हो रहा है, अगर वे उनकी मदद करते हैं तो इसके बदले में वो 5 से 10 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। बता दें, हैरान कर देने वाला ये पूरा मामला बिहार के नवादा का है। इस मामले में अब तक तीन साइबर ठग पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। गिरफ्तारी के बाद पुलिस की पूछताछ में ठगों ने खुलासा किया है कि वो कैसे भोले-भाले युवकों को अपने झांसे में लेते थे। साइबर ठगों ने पुलिस को बताया कि वो लोग सोशल मीडिया और फोन कॉल्स के जरिए युवकों को अपने जाल में फंसाते थे। उनको लाखों रुपए का लालच दिया जाता था। उनसे कहा जाता था कि अगर महिला प्रेग्नेंट नहीं भी हो सकी तो भी उन्हें कम से कम 50 हजार रुपये तो मिलेंगे ही और पैसे के लालच में जो भी युवक इस काम के लिए तैयार होता, उससे 500 से 20 हजार रुपये तक रजिस्ट्रेशन के नाम पर ऐंठ लिए जाते थे। आरोपी उन महिलाओं को भी अपना निशाना बनाते थे, जो मां बनने में असमर्थ थीं। उन्हें प्रलोभन दिया जाता था कि प्रेग्नेंसी के साथ उन्हें 5 से 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। जब कोई महिला इस झांसे में आ जाती, तो उनसे भी रजिस्ट्रेशन के नाम पर हज़ारों रुपये ठग लिए जाते थे।

 

4.) ED ने किया 10,000 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश ! 

 

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक ऐसा घोटाला पकड़ा है, जो फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता। इस घोटाले का नाम है विदेशी धन प्रेषण (Illegal Foreign Remittance Scam) ! जांच में सामने आया कि 98 फर्जी साझेदारी फर्मों और 12 निजी लिमिटेड कंपनियों के जरिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम विदेश भेजी गई। यह रकम माल ढुलाई शुल्क के नाम पर हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड की कंपनियों के खातों में ट्रांसफर की गई। भारतीय कानून, जैसे फेमा (FEMA) और पीएमएलए (PMLA), के तहत बिना उचित दस्तावेजों के विदेशी धन ट्रांसफर करना गैरकानूनी है। ऐसे घोटालों में माल ढुलाई (Freight) या इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का बहाना करके रकम को विदेश में भेजने के लिए किसी सामान की खरीद-फरोख्त या माल ढुलाई का दिखावा किया जाता है। ब्लैक मनी को विदेशी बैंक अकाउंट्स में भेजकर इसे लीगल बनाने की कोशिश की जाती है। 

छापेमारी और बैंक खातों का खेल

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, 269 फर्जी बैंक खातों के जरिए ऐसा घोटाला रचा गया, जिसे सुनकर दिमाग हिल जाए! इन खातों में पहले नकदी जमा की जाती, फिर RTGS के जरिए इसे सफेद धन में बदला जाता। इसके बाद पैसा ऐसे खातों में घुमाया गया कि ट्रैकिंग करना अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गया। जब सारा खेल सेट हो जाता, तो इसे "माल ढुलाई शुल्क" के नाम पर विदेश भेज दिया जाता। ED ने मुंबई, ठाणे और वाराणसी में 11 जगहों पर छापेमारी की और 1 करोड़ रुपये नकद, आभूषण, डिजिटल उपकरण, और फर्जी संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए। जांच में पता चला कि इस घोटाले को अंजाम देने में कई CA ने सक्रिय भूमिका निभाई। इन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने फर्जी कंपनियों का पंजीकरण, ROC फाइलिंग और अन्य कानूनी प्रक्रिया को अंजाम देकर पूरे फर्जीवाड़े को "लीगल" दिखाने में मदद की। RTGS ऑपरेटरों के एक बड़े नेटवर्क का भी भंडाफोड़ हुआ, जो इन फर्जी खातों में धन घुमाकर इसे 12 नकली कंपनियों तक पहुंचाते थे। ये कंपनियां खुद को "माल ढुलाई और रसद" का व्यापार करने वाली बताती थीं, लेकिन हकीकत में इनके पास न माल था, न ढुलाई। कुल मिलाकर, यह घोटाला इतनी चालाकी से अंजाम दिया गया कि कानून भी इस खेल को पकड़ने में चकरा गया!

विदेशी ट्रांसफर का तरीका

घोटाले के तहत जिन फर्जी कंपनियों के बैंक खाते खोले गए थे, उनमें आरटीजीएस के जरिए पैसा जमा किया जाता। इसके बाद यह पैसा हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड की कंपनियों को माल ढुलाई शुल्क के नाम पर ट्रांसफर किया गया। यह दिखाने की कोशिश की गई कि ये कंपनियां वैध अंतरराष्ट्रीय व्यापार कर रही हैं, जबकि हकीकत में यह धन अवैध रूप से सफेद किया जा रहा था। यह मामला ठाणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद सामने आया। एफआईआर में जितेंद्र पांडे और अन्य के नाम दर्ज थे। इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी फर्मों और खातों के जरिए करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की। ईडी ने इसी एफआईआर को आधार बनाकर अपनी जांच शुरू की और इस घोटाले की परतें खोलीं। तलाशी अभियान में ईडी को बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण मिले। इनसे पता चला कि यह घोटाला केवल नकली फर्मों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें कई बड़े खिलाड़ी शामिल थे, जिन्होंने इस पूरे ऑपरेशन को मैन्युअल और डिजिटल दोनों तरीकों से अंजाम दिया। ईडी इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है। जिन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और आरटीजीएस ऑपरेटरों ने इस घोटाले में मदद की, उनकी भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है।

 

5.) नोएडा के बड़े- बड़े ड्रग्स कांड का खुलासा 

 

नोएडा, जिसे उत्तर प्रदेश का सबसे हाईटेक शहर कहा जाता है, आईटी हब और स्टार्टअप्स का शहर वो अब ड्रग्स माफियाओं का पसंदीदा ठिकाना बनता जा रहा है। सोचिए, जहां हर कोने में स्मार्ट टेक्नोलॉजी और आधुनिकता का बोलबाला है, वहीं नशे का कारोबार अपनी जड़ें जमा चुका है। ये खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत, जहां आंकड़ों ने पुलिस की सक्रियता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आरटीआई के आंकड़े बताते हैं कि 2022 से 2024 के बीच नोएडा के थाना-126 में सबसे ज्यादा ड्रग्स बरामदगी हुई है। इस दौरान लगभग 120 किलोग्राम ड्रग्स पकड़ा गया और 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस थाना क्षेत्र में बड़े-बड़े विश्वविद्यालय, नामी आईटी कंपनियां और कई ग्रामीण इलाके आते हैं। 2023 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ग्रेटर नोएडा से 150 करोड़ रुपए के मेक्सिकन ड्रग्स गिरोह का पर्दाफाश किया था। इसमें बड़े पैमाने पर विदेशी नागरिक शामिल थे। वहीँ ग्रेटर नोएडा और दिल्ली-एनसीआर में अफ्रीकी गिरोहों द्वारा नशे का कारोबार तेजी से बढ़ा है। कई बार पुलिस ने इनके खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन यह नेटवर्क फिर से उभर आता है। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा और नोएडा में स्थित बड़े विश्वविद्यालयों में छात्रों के बीच ड्रग्स का चलन लगातार बढ़ रहा है। 2022 में एक बड़े विश्वविद्यालय में नशे के कारोबार का भंडाफोड़ हुआ था, जिसमें कई छात्र गिरफ्तार हुए थे। इसके अलावा थाना सेक्टर-49 क्षेत्र में पुलिस ने 2024 में एमडीएम ड्रग्स 8.27 मिलीग्राम और 27 ग्राम डायजापाम जब्त किया। इसमें दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 

बाकी थानों में 'शून्य' बरामदगी का क्या माजरा है?

अब सबसे बड़ा सवाल उठता है बाकी थाना क्षेत्रों का। आरटीआई में साफ तौर पर लिखा है कि अन्य थानों में ड्रग्स की बरामदगी का आंकड़ा 'शून्य' है। यहां तक कि ग्रेटर नोएडा, जिसे विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय छात्रों का हब कहा जाता है, वहां भी पुलिस के मुताबिक एक भी ड्रग्स बरामद नहीं हुआ। क्या यह वाकई सच्चाई है? क्योंकि पिछले ही साल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने 150 करोड़ रुपए के मेक्सिकन ड्रग्स गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो ग्रेटर नोएडा से ऑपरेट कर रहा था। अफ्रीकी गिरोहों के ड्रग्स बेचने की खबरें भी अक्सर आती रहती हैं। तो फिर पुलिस की 'शून्य बरामदगी' का मतलब क्या है?

समाजसेवी ने उठाए सवाल

नोएडा के समाजसेवी डॉ. रंजन तोमर ने आरटीआई के जरिए गौतम बुद्ध नगर की पुलिस से सवाल पूछे थे। उन्होंने जानना चाहा कि कौन से इलाकों में ड्रग्स सबसे ज्यादा मिलता है, कहां से ज्यादा गिरफ्तारी होती है और कौन से थाना क्षेत्र ड्रग्स माफियाओं के निशाने पर हैं। जवाब में पुलिस ने 36 पन्नों की रिपोर्ट दी, लेकिन उसमें ज्यादातर जगहों पर 'शून्य' लिखा था। डॉ. तोमर का कहना है, "ग्रेटर नोएडा जैसे हब में 'शून्य' ड्रग्स मिलना संभव नहीं लगता। यह या तो पुलिस की लापरवाही है या फिर आंकड़ों को दबाने की कोशिश।" लेकिन सवाल है कि इतनी मामूली बरामदगी के बावजूद इस क्षेत्र को ड्रग्स मुक्त कैसे कहा जा सकता है?