लोकसभा में आज वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश कर दिया गया। बिल को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया। जैसे ही ये बिल पेश किया गया वैसे ही सदन में विपक्ष का जोरदार हंगामा देखने को मिला। किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष वोट बैंक के चलते बिल के खिलाफ है। वक्फ का इंफ्रास्ट्रक्चर सही नहीं था, इसे ठीक किया गया है। वक्फ बोर्ड पर माफियाओं का कब्जा है।
देश में कोई भी कानून संविधान से ऊपर नहीं है
संसद में पुराने वक्फ कानूनों में बदलाव के लिए वक्फ संशोधन बिल 2024 पेश कर दिया गया। इस बिल का विपक्ष ने विरोध किया, बिल पेश होते ही सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला। इस बिल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बता दें, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी संस्थाओं और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है। बिल के ज़रिए 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों में संशोधन किया गया है। बिल के ज़रिए पुराने कानूनों में क़रीब 40 बदलाव किए गए हैं। बिल में कहा गया है कि 1995 और 2013 के कानूनों के बावजूद राज्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में कोई ख़ास सुधार देखने को नहीं मिला है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन में पारदर्शिता का अभाव है।
वक्फ बिल में संशोधन का क्या मकसद
सरकार ने बिल लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन बताया है। इसमें वक्फ कानून 1995 के सेक्शन-40 को हटाया जा रहा है जिसके तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। इस बिल में वक्फ कानून 1995 का नाम बदल कर यूनिफाइड वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 रखा गया है।
वक्फ बिल के सबसे अहम बदलाव क्या होंगे:
1.) कानून लागू होने के बाद हर नई वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा। नई वक्फ संपत्ति दस्तावेज के बिना नहीं बनाई जा सकेगी।
2.) केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व होगा। मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग; शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।
3.) महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को रखना अनिवार्य होगा।
4.) एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना भी इसमें शामिल है।
5.) दो सदस्यों के साथ ट्रिब्यूनल संरचना में सुधार करना और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील के लिए नब्बे दिनों की मियाद दी जाएगी.
6.) वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा।
7.) वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे, मुस्लिम कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज, एक प्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग, भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे। नए कानून के बाद इनमें कम से कम दो महिलाओं का होना आवश्यक है।
बिल की चार प्रमुख बातें:
1.) सभी मौजूदा वक्फ संपत्तियों को नियमित करने का प्रावधान- नया कानून लागू होने के 6 महीने के भीतर पोर्टल और डेटाबेस पर मौजूदा वक्फ संपत्तियों की जानकारी देना अनिवार्य होगी। सभी वक्फ संपत्तियों की सीमा, पहचान , उनका उपयोग और उसको इस्तेमाल करने वाले की जानकारी भी होगी। साथ ही वक्फ बनाने वाले का नाम और पता, तरीका और तारीख. वक्फ की देखरेख और प्रबंधन करने वाले मुतवल्ली की जानकारी होगी. वक्फ संपत्ति से होने वाली सालाना आमदनी की जानकारी भी इसमें शामिल है।
2.) कोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी- संपत्ति वक्फ की है या नहीं , इसका फैसला राज्य वक्फ बोर्ड नहीं कर सकेंगे। कानून लागू होने के बाद हर नई वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा। नया वक्फ संपत्ति दस्तावेज़ के बिना नहीं बनाया जा सकेगा। नए वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए वक्फ बोर्ड में आवेदन देना होगा। आवेदन की जांच के लिए वक्फ बोर्ड ज़िला कलेक्टर के पास भेजेगा.ज़िला कलेक्टर के पास ही आवेदन की जांच का अधिकार और कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद ही वक्फ का रजिस्ट्रेशन होगा। अगर कलेक्टर ने रिपोर्ट में संपत्ति को विवादित या सरकारी ज़मीन करार दिया तो रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। रजिस्ट्रेशन होने पर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। कोई भी सरकारी ज़मीन वक्फ की संपत्ति नहीं बनाई जा सकेगी। कानून लागू होने के बाद वक्फ संपत्ति घोषित हो चुके मौजूदा सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। ज़मीन सरकारी है या नहीं , इसकी जांच और निर्णय लेने का अधिकार कलेक्टर के पास रहेगा.जिन वक्फ संपत्तियों की जांच सर्वे कमिश्नर कर रहे , उनकी जांच कलेक्टर को सौंपी जाएगी।
3.) केंद्रीय वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्डों को ज़्यादा व्यापक और सर्व समावेशी बनाने का प्रावधान- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री काउंसिल के चेयरमैन होंगे, तीन सांसद भी इसके सदस्य होंगे। केंद्रीय काउंसिल के सदस्यों में 2 महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा, इसमें दो गैर मुस्लिम सदस्य भी होंगे। मैनेजमेंट, वित्तीय मैनेजमेंट, प्रशासन और इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर जैसे क्षेत्रों से भी सदस्य बनाए जाएंगे। राज्य वक्फ बोर्डों में अधिकतम 11 सदस्यों का प्रावधान होगा। दो महिला और दो गैर मुस्लिम सदस्यों के अलावा बोहरा और आगाखानी समुदाय से भी इसके सदस्य बन सकेंगे। सदस्यों में शिया , सुन्नी और ओबीसी वर्ग का कम से कम एक प्रतिनिधि अनिवार्य होगा।
4.) विवाद की स्थिति में वक्फ ट्रिब्यूनल के फ़ैसले को ऊंची अदालतों में चुनौती देने का प्रावधान है। जिसे 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। फिलहाल ट्रिब्यूनल का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा।
बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भी देश में हिंसा नहीं रुक रही है। पहले आंदोलनकारी सरकार और आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे थे, लेकिन अब बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक दंगाइयों के निशाने पर हैं। बांग्लादेश में कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों में तोड़फोड़ की गई है। सोमवार को शेख हसीना की पार्टी से जुड़े आवामी लीग के दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई थी। सोमवार को ही लोकप्रिय संगीत बैंड जोलर गान के मुख्य सदस्य राहुल आनंद के घर पर तोड़फोड़ और आगजनी की गई। हिंसा के चलते राहुल आनंद और उनके परिजनों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा, जिससे उनकी जान बच पाई।
संंयुक्त राष्ट्र ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा की
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है। अब संयुक्त राष्ट्र ने भी इसकी आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि हम नस्लीय आधार पर होने वाले हमलों, हिंसा को बढ़ावा देने के खिलाफ हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने ये बात कही। बता दें, एंटोनियो गुटेरेस के उप-प्रवक्ता फरहान हक से गुरुवार को बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमलों पर सवाल किया गया था। इसके जवाब में फरहान ने कहा कि हमने पहले भी स्पष्ट किया है और हम एक बार फिर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में जो हिंसा हो रही है, उसे खत्म किया जाए। हम किसी भी नस्लीय आधार पर होने वाले हमलों या नस्लीय आधार पर होने वाली हिंसा को बढ़ावा देने के खिलाफ हैं। फरहान ने कहा, हम निश्चित रूप से बांग्लादेश की सरकार और लोगों को हर उस तरह से समर्थन देने के लिए तैयार हैं, जो वे आवश्यक समझें।
हिंसा में अब तक 500 से ज्यादा की मौत
शेख हसीना के बीती 5 अगस्त को इस्तीफे और देश छोड़कर जाने के बाद भी हिंसा में कम से कम 232 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद जुलाई में शुरू हुई आरक्षण विरोधी हिंसा में अब तक मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 560 हो गया है। गुरुवार को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख सलाहकार नियुक्त किया गया है।
कैसा होने वाला है बांग्लादेश का राजनैतिक भविष्य
बांग्लादेश में हिंसा और राजनीतिक संकट के बीच अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इसके कार्यवाहक के तौर पर मोहम्मद यूनुस ने शपथ ग्रहण किया। देश के लोगों ने नई अंतरिम सरकार का स्वागत किया। साथ ही उम्मीद जताई कि यह सरकार व्यवस्था बहाल करेगी और सत्ता के लोकतांत्रिक हस्तांतरण के लिए निष्पक्ष चुनाव कराएगी। बांग्लादेश में यह घटनाक्रम, शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद हुआ है। बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर पांच अगस्त को हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण बांग्लादेश अस्थिर राजनीतिक स्थिति का सामना कर रहा है। अब 84 साल के यूनुस ने गुरुवार को देश के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली। बता दें, सलाहकार परिषद के सदस्यों में महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर, दक्षिणपंथी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप-प्रमुख एएफएम खालिद हुसैन, ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी नूरजहां बेगम, स्वतंत्रता सेनानी शर्मीन मुर्शिद, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय और पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन शामिल हैं।
भारत के उच्चायुक्त शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए
ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में मोहम्मद यूनुस के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। नोबेल पुरस्कार विजेता 84 वर्षीय यूनुस को बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने गुरुवार शाम को ढाका में राष्ट्रपति भवन 'बंगभवन' में आयोजित एक समारोह में पद की शपथ दिलाई। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय उच्चायुक्त बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
सीएम ममता ने मोहम्मद यूनुस को बधाई दी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का कार्यभार संभालने पर बधाई दी। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और राज्य की मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि पड़ोसी देश में जारी संकट समाप्त होगा और जल्द ही शांति बहाल होगी।
उत्तर प्रदेश के बरेली में महिलाओं की हत्या करने वाले सीरियल किलर को आज गिरफ्तार कर लिया गया है। बता दें, सीरियल किलर की पहचान कुलदीप के तौर पर हुई है, इसकी जानकारी बरेली के SSP अनुराग आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। SSP ने बताया कि आरोपी को महिलाओं को लेकर एक अजीब से फ़्रस्ट्रेशन है। वो पहले महिलाओं को अपने झांसे में फंसाता, उसके बाद उनसे फिजिकल रिलेशन बनाने को कहता था और बाद में इनकार करने पर महिलाओं की हत्या कर देता था। हत्या का पैटर्न हर बार एक ही होता था, आरोपी साड़ी से गला दबाकर हत्या करता था। आरोपी ने 6 हत्या की बात कबूल की है, पुलिस उससे आगे की पूछताछ कर रही है।
साइको किलर जो साड़ी से घोंट देता महिलाओं का गला ...!
बरेली जिले के शाही और शीशगढ़ इलाके में पिछले 14 महीनों में 9 महिलाओं की हत्या की गई, हत्या का पैटर्न एक समान था। सभी महिलाओं का साड़ी से गला घोंटा गया था। हत्या के बाद लाशें झाड़ियों या खेत से बरामद हुए। जिन महिलाओं की हत्या की गई उन सभी की उम्र 45 साल से 55 साल के बीच थी। हत्या की वारदातें बरेली के एक ही क्षेत्र में कुछ दिनों के अंतराल बाद हो रही थीं, इसलिए पुलिस को सीरियल किलिंग का शक हुआ और इसी एंगल से जांच शुरू की गई।
केस सॉल्व करने के लिए चलाया 'ऑपरेशन तलाश'
पुलिस ने बताया कि महिलाओं की हत्याओं के खुलासे के लिए एक वॉर रूम तैयार किया गया था। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की खबरों का संज्ञान लिया भी लिया गया। इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन तलाश' नाम दिया गया था। पुलिस ने 22 टीमों का गठन कर 25 किलोमीटर एरिया के रेडियस में करीब 1500 CCTV फुटेज खंगाले, ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए 600 नए CCTV कैमरे भी लगाए गए। सीरियल किलर को लेकर महाराष्ट्र में एक स्टडी भी की गई। डेढ़ लाख मोबाइल नंबरों का डेटा लेकर जांच की गई। बॉडी बॉर्न कैमरे, खुफिया कैमरे लगा कर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।
हत्यारे को दबोचने के लिए जारी किया स्केच
आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने 3 दिन पहले संदिग्धों के 3 स्कैच जारी किए थे, इनमें से एक स्कैच कुलदीप का था। मर्डर पैटर्न को लेकर क्लीनिकल साइकोलॉजी के एक्सपर्ट से भी सलाह ली गई, इससे जांच टीम को यह पता चला कि शाही पुलिस स्टेशन एरिया साइको किलर का सेंटर पॉइंट है। यहीं से एक मुखबिर की सूचना पर आरोपी को अरेस्ट किया गया।
महिलाओं से नफरत का निकला बीवी से कनेक्शन
पुलिस के मुताबिक, कुलदीप गंगवार नवाबगंज थाना क्षेत्र के गांव बाकरगंज समुआ का रहने वाला है। आरोपी की उम्र 40 साल के आसपास बताई जा रही है। पुलिस को जांच में पता चला कि उसकी गलत हरकतों की वजह से उसकी बीवी छोड़कर चली गई थी, जिसके बाद उसे महिलाओं को लेकर एक कुंठा होने लगी। इसके बाद वो महिलाओं को अपने झांसे में फंसाता और फिर जबरदस्ती करने की कोशिश करता। नाकाम रहने पर गला घोंटकर महिलाओं को मौत के घाट उतार देता था।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। दिल्ली आबकारी नीति मामले में 17 महीने बाद कल उन्हें तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा किया गया है। शुक्रवार शाम को वह जेल से बाहर आ गए। आज सिसोदिया ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें झूठे केस में फंसाया है। संविधान की ताकत से मैं यहां खड़ा हूं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जल्द बाहर आएंगे। बता दें, इससे पहले सिसोदिया सुबह कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर पहुंचे थे, जिसके बाद उन्होंने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। बता दें, इस दौरान आप नेता सौरभ भारद्वाज, अतिशी और संजय सिंह भी उनके साथ मौजूद रहे।
सिसोदिया बोले सुप्रीम कोर्ट ने तानाशाही को कुचला
कार्यकर्ताओं के संबोधित करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि 7-8 महीने में न्याय मिल जाएगा लेकिन कोई बात नहीं 17 महीने लग गए। 17 महीने लग गए लेकिन जीत ईमानदारी और सच्चाई की हुई है। भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं है। तानाशाह सरकार जब एजेंसियों, कानूनों और जेलों का दुरुपयोग करेगी तो हमें कौन बचाएगा? बाबा साहेब ने लिखा था संविधान बचाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान का इस्तेमाल करते हुए कल तानाशाही को कुचला।
देश में इस वक्त वक्फ की चर्चा जोरों पर है। शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के लिए जेपीसी गठित कर दी गई। इससे पहले संसद में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। बिल पेश होने के बाद कांग्रेस-सपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। वहीं, सरकार ने कहा कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को गलत तरीके से दी गई असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर, बेहतर और पारदर्शी तरीके से नए कानून के तहत प्रबंधन किया जाएगा। सदन में हंगामे के बीच सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश कर दी है। बता दें, बिल के पेश होने से पहले ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल इसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेजने की मांग कर रहे थे। अब सदन में हंगामें के बीच सरकार ने बिल को जेपीसी के पास भेजने की सिफारिश की है।
क्या होता है जेपीसी?
आपको आसान शब्दों में बातयें तो संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी संसद की वह समिति है, जिसे संसद द्वारा किसी खास विषय या विधेयक की गहन जांच करने के लिए बनाया जाता है। जेपीसी में सभी पार्टियों की बराबर भागीदारी होती है। जेपीसी के पास यह अधिकार होता है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है और उससे पूछताछ कर सकती है। अगर वह व्यक्ति, संस्था या पक्ष जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो इसे संसद की अवमानना माना जाएगा।
हर घर तिरंगा अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर अपनी प्रोफाइल तस्वीर बदलकर 'तिरंगा' (भारतीय ध्वज) कर दी है। PM मोदी ने देशवासियों से 'हर घर तिरंगा' अभियान में शामिल होने का आग्रह किया। पीएम मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि इस साल का स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है, आइए फिर से हर घर तिरंगा अभियान को एक यादगार जन आंदोलन बनाएं। मैं अपनी प्रोफाइल फाेटो बदल रहा हूं और आप सभी से आग्रह करता हूं कि ऐसा करके हमारे तिरंगे का सम्मान करने में मेरा साथ दें। पीएम ने लोगों से हर घर तिरंगा डाट कॉम पर अपनी सेल्फी साझा करने की भी अपील की: (Tweet Link- https://x.com/narendramodi/status/1821747330158068203)
आपको बता दें, आजादी के महापर्व को विशेष बनाने के लिए केंद्र सरकार नौ अगस्त से देश भर में हर घर तिरंगा अभियान चलाती है। यह 15 अगस्त को समाप्त होता है सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं से रैली निकालने को कहा है। भाजपा के कार्यकर्ता इस दौरान कई कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।
क्या है हर घर तिरंगा अभियान?
आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत यह अभियान शुरू किया गया था। 22 जुलाई 2022 को खुद प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों से अपने घर पर तिरंगा फहराने की अपील की थी। तब से हर साल यह अभियान चलाया जाता है। इस अभियान का एलान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह मुहिम तिरंगे के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा करेगी। उन्होंने जिक्र किया था कि 22 जुलाई 1947 को ही तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया था।
क्या है इसका मकसद?
इसका उद्देश्य लोगों को तिरंगा घर लाने और भारत की आजादी के अमृत महोत्सव पर इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करना है। झंडे के साथ हमारा रिश्ता हमेशा व्यक्तिगत से ज्यादा औपचारिक और संस्थागत रहा है। इस तरह सामूहिक रूप से झंडे को घर लाना न केवल तिरंगे से व्यक्तिगत जुड़ाव का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। इस पहल के पीछे का विचार लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने वालों को आज श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा यह वास्तव में हमारे स्वतंत्रता संग्राम में एक ऐतिहासिक क्षण था।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि केंद्र सरकार को संसद के सत्र में आरक्षण पर संशोधन विधेयक लाकर उच्चतम न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी कर देना चाहिए था। उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण व्यवस्था पर बीते दिनों दिए गए निर्णय को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार को इसी सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक लाना चाहिए था।
आश्वासन से नहीं चलेगा काम, लोगों से एकजुट होने को कहा
बेशक प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है लेकिन खाली आश्वासन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि अब संसद का अगला सत्र बुलाकर उसमें आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में सभी राजनीतिक दलों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यह राजनीतिक दल संविधान की प्रतियां लेकर लोगों को गुमराह कर रहे थे और अब जब बोलने का समय आया है तो सभी ने चुप्पी साध ली है। उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि वह आरक्षण के मुद्दे को लेकर एकजुट हों, और आवाज़ उठाएं। क्योंकि अगर अब आवाज नहीं उठाई तो हमेशा के लिए आरक्षण से वंचित रहना पड़ेगा।
अपराधी ने घर में घुसकर धारदार हथियार से किया वार
बिहार के बेगूसराय जिले में सोए हुए अवस्था में अपराधियों ने एक ही परिवार के चार लोगों का धारदार हथियार से गर्दन काट दिया। इसमें पति-पत्नी और बेटी की मौत हो गई है, जबकि एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया है। घायल अवस्था में बच्चे को इलाज के लिए पीएससी में भर्ती कराया है, जहां उसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।। इतना ही नहीं अपराधियों ने चारों के शरीर पर एसिड भी डाल दिया। घटना के बाद से इलाके में सनसनी मच गई है, हादसे की जगह आसपास के लोगों की भीड़ लग गई। इधर, घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच में जुट गई है। पुलिस ने बताया की दंपती अपने दोनों बच्चों के साथ घर में सो रहे थे। अपराधी घर में घुसे और अचानक चारों पर धारदार हथियार से वार करने लगे। अपराधियों ने चारों का गर्दन काट दिया। इसमें तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं एक बच्चे की हालत गंभीर है। इस घटना की सूचना स्थानीय लोगों ने भी पुलिस को दी, लोगों के अनुसार संजीवन महतो ने दो शादी की थी और उसका पहले से एक बड़ा लड़का है। बता दें, ग्रामीणों का कहना है कि आपसी रंजिश में ही अपराधियों ने इस बड़ी घटना को अंजाम दिया। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच पड़ताल में जुटी हुई है और पुलिस का कहना की जाँच के बाद ही हत्या और हत्यारों के बारे में कुछ भी पुख्त तौर पर कहा जा सकता है।