देश की राजधानी दिल्ली में बुधवार को गर्मी ने अप्रैल के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, दिल्ली में न्यूनतम तापमान 25.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 5.6 डिग्री अधिक और बीते तीन वर्षों में अप्रैल महीने का सबसे अधिक है। मौसम विभाग ने भीषण गर्मी को देखते हुए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है। दिल्ली के पांच प्रमुख मौसम केंद्रों में से चार पर लू की स्थिति दर्ज की गई। पालम, आयानगर, रिज और लोधी रोड सहित विभिन्न केंद्रों पर तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहा। पिछले वर्षों से तुलना करें तो 2024 में अप्रैल के दौरान न्यूनतम तापमान 24 डिग्री और 2023 में 23.6 डिग्री रहा था। इस बार का उछाल साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन और शहरी गर्मी के प्रभाव को दिखाता है।
दिल्ली अकेला नहीं है जहाँ गर्मी ने कहर बरपाया है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी तापमान ने 43 डिग्री सेल्सियस के पार की रफ्तार पकड़ी। गुजरात के कांडला में पारा 45.6 डिग्री तक पहुंच गया, जो बुधवार को देश का सबसे गर्म स्थान रहा। वहीं राजकोट, अमरेली और पोरबंदर जैसे तटीय क्षेत्रों में भी तापमान असामान्य रूप से ऊँचा दर्ज किया गया। राजस्थान के बाड़मेर में हालात और गंभीर हैं, जहाँ अधिकतम तापमान 46.4 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। पिलानी, फलौदी, चूरू, बीकानेर और जयपुर में भी तापमान सामान्य से 6 से 8 डिग्री अधिक दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने चेताया है कि 14-15 अप्रैल को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में एक बार फिर गर्म हवाओं का दौर लौट सकता है। वहीं पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में मौसम राहत भरा लेकिन तूफानी बना हुआ है। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए 'येलो अलर्ट' जारी किया है। चंबा, कुल्लू, कांगड़ा और लाहौल-स्पीति के कुछ हिस्सों में गरज के साथ बारिश और तेज हवाओं की संभावना है। वहीं शुक्रवार को शिमला, सोलन और सिरमौर सहित कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी जारी की गई है। भीषण गर्मी के बीच राजधानी की हवा भी दमघोंटू होती जा रही है। गुरुवार सुबह 9 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 233 दर्ज किया गया, जो 'खराब' श्रेणी में आता है। सुबह साढ़े आठ बजे आर्द्रता 51 प्रतिशत दर्ज की गई, जिससे उमस ने भी लोगों की परेशानी और बढ़ा दी। मौसम विभाग की चेतावनी है कि फिलहाल राहत के आसार कम हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोग सतर्क रहें, हाइड्रेटेड रहें और धूप में अनावश्यक बाहर निकलने से बचें।
बिहारशरीफ में कुछ दिन पहले एक नया घंटाघर बना। सुनने में सिंपल खबर लगती है, लेकिन जैसे ही लोगों ने इस पर नज़र डाली ये घंटाघर, घड़ी की तरह नहीं, मीम्स की तरह वायरल हो गया। वजह? उद्घाटन के ठीक अगले दिन ही घड़ी बंद! अब सोचिए, एक ऐसी चीज़ जो शहर की पहचान बनने वाली थी, वो सोशल मीडिया पर मज़ाक और सवालों की वजह बन गई। घंटाघर की कीमत को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है। लोगों का दावा है कि इसे बनाने में 40 लाख रुपये खर्च हुए। लेकिन ये बात सिर्फ कीमत की नहीं है लुक्स और क्वालिटी को देखकर लोग पूछ रहे हैं, “इतना पैसा कहां गया?” सीधी सी सफेद बॉक्स जैसी बिल्डिंग, ऊपर एक पतला सा खंभा और उस पर घड़ी का एक सिंपल डिजाइन न कोई आर्किटेक्चर का वॉव फैक्टर, न कोई इनोवेशन। और ऊपर से एक दिन में बंद भी हो गई। अधिकारियों का कहना है कि किसी ने घड़ी की केबल चुरा ली इसलिए वो काम नहीं कर रही। अब बताइए, अगर पब्लिक प्रॉपर्टी का इतना बेसिक सेफ्टी सिस्टम नहीं है, तो फिर ऐसी ओपन एक्सपोज़्ड स्ट्रक्चर को क्यों लगाया गया? और अगर प्रोजेक्ट अभी पूरा भी नहीं हुआ था, तो मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान इसका अनावरण क्यों किया गया? ये पब्लिक कनेक्शन कम, सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट ज्यादा लग रहा है।
लोगों का गुस्सा समझ में आता है। किसी ने इसे "स्कूल प्रोजेक्ट" कहा, किसी ने "आंखों में खटकने वाला ढांचा"। कुछ ने और सीधा पूछा, “इतने में तो हम अपने मोहल्ले में इससे दोगुना सुंदर घंटाघर बना लेते।” सोशल मीडिया पर उठे सवालों और भारी आलोचना के बीच बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने स्थिति को स्पष्ट करने के लिए एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है "कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया हैंडल पर यह भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है कि बिहारशरीफ में बनाए गए घंटाघर पर 40 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। यह पूरी तरह से गलत और भ्रामक सूचना है। कृपया ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें।" स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े अधिकारी श्री मिश्रा ने बताया कि घंटाघर को चालू करने के कुछ ही दिनों बाद अज्ञात लोगों द्वारा इसकी केबल चोरी कर ली गई, जिससे इसकी घड़ी ने काम करना बंद कर दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि घंटाघर का अब तक आधिकारिक उद्घाटन नहीं हुआ है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट अभी पूरी तरह से कंप्लीट नहीं है। प्रशासन का कहना है कि घड़ी की खराबी किसी तकनीकी या निर्माण दोष के कारण नहीं, बल्कि सुरक्षा में सेंध के कारण हुई है, और संबंधित एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। सवाल यहां किसी एक घड़ी का नहीं है यह सवाल है सरकारी जवाबदेही का, आर्किटेक्चर के विज़न का, और जनता की अपेक्षाओं का।
17 बरस… हां, पूरे सत्रह साल लगे उस इंसाफ की दस्तक को, जिसने 2008 की उस काली रात में मुंबई की सड़कों को खून से रंग दिया था। जब गोलियों की आवाज़ में चीखें दब गई थीं, जब ताज होटल धधक रहा था, जब CST स्टेशन पर भागती ज़िंदगियों को गोलियों ने गिरा दिया था। और आज सत्रह साल बाद, उन्हीं ज़ख्मों के सबसे ख़तरनाक किरदारों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा भारत की ज़मीन पर है। आज का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ है। अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद राणा अब भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है और कुछ ही पलों में उसका विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड करेगा। लेकिन ये सिर्फ़ लैंडिंग नहीं, ये है भारत की न्याय प्रणाली की टेकऑफ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सालों की मेहनत रंग लाई और आतंक की छाया में छिपा ये गुनहगार अब कानून की रौशनी में खड़ा होगा। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, NIA की टीम और SWAT कमांडो सभी तैयार हैं। पालम एयरपोर्ट से लेकर NIA हेडक्वार्टर तक कई लेयर की सुरक्षा में उसे ले जाया जाएगा। सबसे पहले मेडिकल जांच, फिर पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी, और फिर वो लम्हा जब भारतीय अदालत राणा से कहेगी: अब तेरा हिसाब शुरू होता है। तहव्वुर राणा, एक नाम जो 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का साथी था। पाकिस्तानी मूल का ये कनाडाई नागरिक, आतंक की उस फैक्ट्री का एक अहम हिस्सा था, जिसने भारत के सीने में गोलियां उतारी थीं। राणा को डर था भारत की अदालत से, एनआईए की पूछताछ से, उस सच से जो वो अब तक छिपा रहा था। तभी तो अमेरिका की अदालत में उसने बार-बार भारत ना भेजे जाने की गुहार लगाई but justice doesn’t beg. Justice hunts. और अब वो शिकंजा कस चुका है। भारत का ये कूटनीतिक जीत सिर्फ़ एक अपराधी की गिरफ्तारी नहीं है, ये उन 175 मासूमों को श्रद्धांजलि है, जिनकी चीखें संसद की दीवारों से टकराकर आज तक गूंज रही थीं। ये उन पुलिसवालों और NSG कमांडोज़ का सम्मान है, जिन्होंने अपनी जान देकर देश को बचाया। इस मौके पर भारत में इज़राइल के राजदूत रूवेन अजार ने कहा: “हम इस भयानक और वीभत्स आतंकी हमले के एक अपराधी के भारत प्रत्यर्पण से बेहद उत्साहित हैं। भारत सरकार की दृढ़ता काबिल-ए-तारीफ है। यह एक मजबूत लोकतंत्र की जीत है।” अब सवाल ये नहीं कि तहव्वुर राणा को सज़ा मिलेगी या नहीं… सवाल सिर्फ़ ये है कि कितने राज़ उसके साथ बाहर आएंगे? कितने छिपे चेहरे बेनकाब होंगे? और क्या 26/11 की वो फाइल अब हमेशा के लिए बंद हो पाएगी? ये एक अंत नहीं… ये शुरुआत है इंसाफ के उस अध्याय की, जहाँ आतंक का हर किरदार अब बचेगा नहीं।