Latest News

Breaking News 1 December 2025

1.) विराट कोहली का  शतक: रांची में इतिहास लिखा, वनडे क्रिकेट का नया अध्याय शुरू

रांची के JSCA इंटरनेशनल स्टेडियम में रविवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए पहले वनडे में विराट कोहली ने वह काम कर दिया, जिसका इंतज़ार दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी महीनों से कर रहे थे। कोहली ने अपनी धीरज, तकनीक और अदम्य संकल्प की मिसाल पेश करते हुए 120 गेंदों में 135 रनों की धुआंधार पारी खेलकर अपना 52वाँ वनडे शतक पूरा किया और इसी के साथ ODI क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज़्यादा शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ बन गए। यह वह मुकाम है, जिसके आगे अब केवल विराट का नाम है; यह रिकॉर्ड अब न सचिन तेंदुलकर के पास है, न किसी और बल्लेबाज़ के पास। कोहली की पारी उतनी ही नियंत्रित थी, जितनी प्रभावशाली। उन्होंने अपनी इनिंग में 11 चौके और 7 गगनचुंबी छक्के लगाए। शतक उन्होंने 102 गेंदों पर पूरा किया, और भारतीय पारी की गति को उस स्तर पर ले गए जहाँ से मैच का संतुलन पूरी तरह भारत के पक्ष में झुक गया। रोहित शर्मा के साथ उनकी लगभग 136 रन की साझेदारी ने भारत के टॉप-ऑर्डर को वह स्थिरता दी, जिसकी टीम को लंबे समय से तलाश थी। यह शतक सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं था। यह एक संदेश था कि 36 वर्ष की उम्र में भी विराट कोहली सिर्फ खेल नहीं रहे, बल्कि खेल की परिभाषा बदल रहे हैं। यह उनका वनडे फॉर्मेट में 52वाँ शतक था, और कुल अंतरराष्ट्रीय करियर का 83वाँ शतक, जिससे उन्होंने साबित किया कि आधुनिक क्रिकेट के दबाव, गति और बदलती मांगों के बावजूद, क्लास और निरंतरता का कोई विकल्प नहीं।

रांची का मैदान भी इस ऐतिहासिक दिन का गवाह बना। यह कोहली का इस स्टेडियम में तीसरा वनडे शतक था जो किसी भारतीय खिलाड़ी के एक घरेलू मैदान पर सबसे अधिक शतकों की बराबरी करता है। हर बार की तरह, इस बार भी उनका शतक सिर्फ रनों का अंकगणित नहीं था; यह भारतीय पारी की रीढ़, विपक्षी गेंदबाज़ों पर मानसिक दबाव और टीम की रणनीति का मार्गदर्शन था।

इस इनिंग के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि टीम इंडिया अब भी अपनी धड़कन कोहली की बैटिंग में महसूस करती है। क्रिकेट के मॉडर्न दौर में ऐसे खिलाड़ियों की कमी है, जो सिर्फ रन नहीं बनाते, बल्कि मैच का रुख बदलते हैं। इस शतक ने एक बार फिर उस विराट कोहली की याद दिला दी जिसे दुनिया "किंग" कहकर पुकारती है।

 

2.) Thumbnail: SIR पर राजनीति गर्माई: विपक्ष के हंगामे के चलते संसद ठप

शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही लोकसभा एक बार फिर राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बन गई। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने SIRयानी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर तत्काल चर्चा की मांग की, जिसे लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया कई राज्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता के मूल प्रश्न खड़े कर रही है। विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची में बदलाव और डिलीशन से लेकर Booth Level Officers पर बढ़ते दबाव, यहां तक कि शिकायतों और संदिग्ध परिस्थितियों में मौतों जैसी घटनाओं पर सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए। दूसरी ओर सरकार ने तर्क दिया कि SIR पर चर्चा आज के औपचारिक एजेंडा में शामिल नहीं है, और सदन को कामकाजी ढर्रे पर आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन सदन खुलते ही माहौल कुछ और ही दिशा में चला गया। विपक्षी सांसदों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाज़ी शुरू कर दी, जिससे अध्यक्ष को बार-बार व्यवस्था बनाए रखने की चेतावनी देनी पड़ी। पहली बार में कार्यवाही को दोपहर तक स्थगित किया गया, लेकिन दूसरी बैठक में भी स्थिति जस की तस बनी रही। विपक्ष ने SIR के साथ-साथ देशभर में प्रदूषण की बढ़ती समस्या, दिल्ली में हालिया सुरक्षा चुनौतियों, और आर्थिक मोर्चे पर सरकार की तैयारियों जैसे मुद्दों पर भी जवाबदेही की मांग को तेज किया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ती दूरी, हंगामे और आरोप-प्रत्यारोपों ने स्थिति को इस हद तक पहुंचा दिया कि स्पीकर को अंततः सदन की कार्यवाही कल सुबह तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सत्र के पहले ही दिन इस तरह का गतिरोध संकेत देता है कि आने वाले दिनों में SIR संसद की राजनीतिक जंग का प्रमुख मैदान बनेगा। सरकार जहां विधायी कामकाज को आगे बढ़ाने के मूड में है, वहीं विपक्ष SIR को “मताधिकार और लोकतंत्र की सेहत का मुद्दा” बताकर इसे सदन के केंद्र में लाना चाहता है। दोनों पक्षों के तीखे रुख को देखते हुए यह साफ है कि इस सत्र में सिर्फ बिलों पर बहस नहीं, बल्कि मतदाता सूची की विश्वसनीयता, चुनावी ढांचे की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की जवाबदेही बड़े सवाल बनकर उभरेंगे।

 

3.)  Podcast Of The Decade

सोचिए, एक सुबह आप उठें और कोई आपसे कहे  नौकरी मत करो, काम अब ऑप्शनल है।” सुनकर हंसी आती है, पर एलन मस्क इस बात को बिल्कुल गंभीरता से कह गए हैं। People by WTF पॉडकास्ट में निखिल कामत से बातचीत करते हुए मस्क ने दावा ठोंक दिया कि आने वाले 20 साल से भी कम वक्त में ‘काम करना’ एक चॉइस बन सकता है। वजह? एआई और रोबोटिक्स की बेकाबू रफ्तार। मशीनें इतना प्रोडक्शन कर देंगी कि इंसानों को रोज़ की भागदौड़ करने की जरूरत ही नहीं बचेगी। अब ये मज़ाक नहीं है, इंटरनेट पर चाय की दुकान वाली बहस भी नहीं। ये दुनिया के सबसे अमीर आदमी SpaceX और Tesla वाले एलन मस्क खुद बोल रहे हैं। बातचीत के दौरान निखिल कामत ने सीधा सवाल दागा: “क्या भविष्य में काम करना सच में ऑप्शनल हो जाएगा?” मस्क ने मुस्कुराकर कहा “हाँ, ये मुमकिन है। बस दुनिया टेक्नोलॉजी के साथ तेज़ी से चले।” पर मस्क यहाँ रुकते नहीं। वे चेतावनी भी देते हैं अगर बिजली, पानी, कच्चा माल, सप्लाई चेन या सरकारों की नीतियां लड़खड़ा गईं, तो ये सपना या तो देर से पूरा होगा, या फिर किसी और आकार में बदल जाएगा। यानी टेक्नोलॉजी दौड़ेगी, लेकिन दुनिया का इंफ्रास्ट्रक्चर उसके साथ दौड़ भी पाता है या नहीं ये असली परीक्षा होगी। बात UBI यानी यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर भी आई। जहाँ सरकार हर आदमी को कुछ न कुछ पैसा देगी ताकि पेट चलता रहे। लेकिन एलन मस्क ने बड़ी दिलचस्प बात कही उन्हें UHI ज्यादा पसंद है यूनिवर्सल हाई इनकम। मस्क के मुताबिक भविष्य में प्रोडक्शन इतना सस्ता और इतना ज्यादा होगा कि हर किसी की लाइफ अमीरों जैसी दिखेगी। खाना, कपड़ा, मकान, दवाइयाँ, घूमना-फिरना सब कुछ इतना सस्ता कि नौकरी करना सिर्फ शौक बनकर रह जाएगा। “काम वो करेंगे जिन्हें मज़ा आता है जैसे पेंटिंग करना, संगीत बनाना या रिसर्च करना।” हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अगर काम सच में ऑप्शनल हो गया, तो समाज में बड़ा उलटफेर होगा। पहचान अब नौकरी से नहीं होगी, बल्कि यह होगा कि इंसान अपने समय का क्या करता है कला, विज्ञान, रिसर्च, सामाजिक काम या क्रिएटिविटी। लेकिन दिक्कतें भी आएंगी शुरुआती बेरोजगारी का झटका, लोगों को नई स्किल सिखाना, मानसिक दबाव और गरीब-अमीर का गैप कंट्रोल करना ये सब कड़वी चुनौतियाँ होंगी। और उद्यमियों पर तो मस्क ने सीधी तलवार रख दी “अगले 10–20 साल सबसे कीमती हैं।” जो लोग अभी एआई और ऑटोमेशन को गले लगा लेंगे, वही आगे दौड़ेंगे। बिजनेस को ऐसा बनाना होगा जहाँ मशीनें ज़्यादातर काम करें, लागत घटे और प्रोडक्शन बढ़े। भविष्य का पैसा वहीं छुपा बैठा है। मस्क की बातों का निचोड़ बस इतना है टेक्नोलॉजी सब बदल देगी, लेकिन इसके लिए सरकारों के पास पॉलिसी होनी चाहिए, और लोगों को ये समझ भी होनी चाहिए कि दुनिया किस दिशा में भाग रही है। वरना जो पीछे रह गया, वो सचमुच बहुत पीछे छूट जाएगा।