नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जिसे जेवर एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, आने वाले वर्षों में एशिया का सबसे बड़ा और भारत का सबसे आधुनिक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनने की दिशा में है। इस एयरपोर्ट की आधारशिला नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। इसके पहले चरण में लागत लगभग 29,560 करोड़ रुपया थी। आपको बता दें कि एयरपोर्ट के पहले चरण का निर्माण कार्य अभी जारी है और हाल ही में इसी माह यानि नवंबर 2024 से यहाँ से फ्लाइट्स की टेस्टिंग शुरू हो चुकी हैं। वहीं, एयरपोर्ट के दूसरे चरण में 1,365 एकड़ भूमि का अधिग्रहण और एमआरओ व एविएशन हब का निर्माण चल रहा है। इस परियोजना के पूर्ण होने तक एयरपोर्ट में 4 टर्मिनल और 2 रनवे होंगे। गौतम बुद्ध नगर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) भारत की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। एशिया के इस सबसे बड़ा एयरपोर्ट से 12 मिलियन यात्री सालाना यात्रा कर सकेंगे। यह एयरपोर्ट 5,000 हेक्टेयर में फैला होगा और पूरा बनने पर 70 मिलियन यात्री क्षमता के साथ विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करेगा। यह भारत का पहला पूरी तरह से ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट होगा। निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक और पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन अपनाया जा रहा है। यह एयरपोर्ट कार्बन न्यूट्रल होगा, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकेगा। इसके साथ ही जेवर एयरपोर्ट का निर्माण शुरू होने से यहां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियां यहां निवेश करने के लिए आगे आ रही हैं। एविएशन इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियां के आने की ज्यादा संभावना है। उम्मीद है कि भविष्य में एयरबस जैसी कोई बड़ी कंपनी आ सकती है।
नोएडा एयरपोर्ट के अलग- अलग चरणों के लिए अब तक 6554 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। एयरपोर्ट के विस्तार के तहत 1200 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण और करने की तैयारी चल रही है, जिसके बाद एयरपोर्ट का क्षेत्र 7754 हेक्टेयर हो जाएगा। खबरों के अनुसार, अधिग्रहण का प्रस्ताव जल्द ही सरकार को भेजा जाएगा और सरकार से अनुमति मिलने के बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। एविएशन इंडस्ट्री हब बनाने के लिए अथॉरिटी इस जमीन का अधिग्रहण करेगी। वहीं, प्रोजेक्ट में आ रही सबसे बड़ी चुनौती विशेष ग्रेड स्टील की कमी और अन्य बाधाओं हैं, जिसके कारण निर्माण में थोड़ा विलंब हुआ है, लेकिन अब अतिरिक्त वेंडर और नई तकनीकों से निर्माण में तेजी लाई जा रही है। यह एयरपोर्ट कुल चार चरणों में पूरा होगा, जिसमें 2040 तक दो रनवे और चार टर्मिनल तैयार होंगे।इस परियोजना से दिल्ली-NCR, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी और अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इसमें 13,000 से अधिक प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया जा रहा है,यह परियोजना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो देश को वैश्विक हवाई यातायात और लॉजिस्टिक हब के रूप में स्थापित करेगी।पूरा एयरपोर्ट बनने पर यह न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त एयरपोर्ट बन जाएगा। यह परियोजना भारत के एविएशन सेक्टर को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।यह एयरपोर्ट केवल एक हवाईअड्डा नहीं है, बल्कि भारत की प्रगति का प्रतीक है, जो आने वाले दशकों तक देश की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
हर साल 1 दिसंबर को विश्व AIDS दिवस (World AIDS Day) मनाया जाता है। यह दिन HIV/AIDS के प्रति जागरूकता बढ़ाने, इससे प्रभावित लोगों के साथ एकजुटता दिखाने और इस बीमारी से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों को प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1988 में हुई थी और यह पहला स्वास्थ्य दिवस था जिसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दी गई। HIV यानि (Human Immunodeficiency Virus) एक ऐसा वायरस है जो इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। यह शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में अक्षम बना देता है। जब HIV संक्रमण अंतिम चरण पर पहुंचता है, तो उसे AIDS यानि (Acquired Immunodeficiency Syndrome) कहा जाता है।
विश्व AIDS दिवस का मुद्दा ही है कि लोगों को एड्स और HIV के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करना। समाज में उनकी स्वीकृति और इलाज की सुविधा सुनिश्चित करना। AIDS से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर संगठनों, सरकारों और व्यक्तियों को प्रेरित करना। वर्ष 2024 तक, दुनिया भर में 4 करोड़ से अधिक लोग HIV के साथ जी रहे हैं। प्रति वर्ष लगभग 16 लाख नए मामले सामने आते हैं। हालांकि, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) की मदद से लाखों लोगों का जीवन बचाया गया है। भारत में HIV संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 23 लाख है। लोग सोचते हैं कि टेस्ट करवाना मुश्किल या महंगा है, पर ऐसा नहीं है, HIV की जांच बड़ी आसानी से सरकारी अस्पतालों और क्लीनिक्स में फ्री हो जाती है। यह वायरस मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान, संक्रमित सुइयों या उपकरणों के उपयोग और संक्रमित मां से नवजात को फैलता है, लेकिन यह सामान्य सामाजिक संपर्क जैसे हाथ मिलाने, गले लगाने या एक ही थाली में खाने से नहीं फैलता। आज जागरूकता और चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के बावजूद, HIV/AIDS के प्रति सामाजिक कलंक और भेदभाव एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत जैसे देश में, जहां लाखों लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, फ्री एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) और सरकारी योजनाओं ने बड़ी संख्या में मरीजों को जीने की एक नई उम्मीद दी है। विश्व एड्स दिवस केवल एक दिन नहीं है, यह उस सतत संघर्ष का प्रतीक है, जिसमें समाज, सरकार और चिकित्सा संस्थान एक साथ मिलकर इस महामारी को हराने की कोशिश कर रहे हैं।
असुरक्षित यौन संबंध के दौरान HIV संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में यह वायरस फैल सकता है। यह बीमारी संक्रमित सुइयों, इंजेक्शनों या रक्त के माध्यम से भी फैलती है। इसके अलावा HIV संक्रमित मां से उसके बच्चे में भी फैलती है। HIV सामान्य सामाजिक संपर्क, जैसे हाथ मिलाना, गले लगाना, खाना साझा करना, या एक ही बाथरूम का उपयोग करने से नहीं फैलता। HIV का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के जरिए वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है। ART दवाएं वायरस के प्रसार को रोकती हैं, इससे व्यक्ति लंबे समय तक सामान्य जीवन जी सकता है। सुरक्षित यौन संबंध बनाएं और निरोधक का उपयोग करें। संक्रमित सुई या रक्त के उपयोग से खुद को बचाएं, गर्भवती महिलाएं नियमित जांच करवाएं। हर साल विश्व एड्स दिवस की एक अलग थीम होती है। इस वर्ष 2024 की थीम है: "Equity in Action: A Future Without AIDS"।