भारत के माननीय उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने पैनल की संरचना में लैंगिक समानता बनाए रखने के लिए आज उपाध्यक्षों के पैनल का पुनर्गठन किया। यह पुनर्गठन संसदीय ढांचे के भीतर समावेशी प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए श्री धनखड़ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नवगठित पैनल में विविध पृष्ठभूमि के प्रतिष्ठित संसद सदस्य शामिल हैं, जो राज्यसभा की कार्यवाही के लिए एक संतुलित और व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित करते हैं। श्री धनखड़ ने समान प्रतिनिधित्व के महत्व और विधायी चर्चा को आकार देने में पुरुष और महिला दोनों सांसदों के अमूल्य योगदान पर जोर दिया। यह कदम एक प्रगतिशील और समतावादी समाज की व्यापक दृष्टि के अनुरूप है, जहां सभी आवाजों को सुना जाता है और महत्व दिया जाता है।
बादल फटने से मकान-पुल-सड़कें सब बह गए
हिमाचल प्रदेश में बारिश ने तबाही मचाई हुई है। आनी के निरमंड में दो जगह, कुल्लू के मलाणा, मंडी जिले के थलटूखोड़ व चंबा जिले में बादल फटा है। बादल फटने से कई मकान, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। तीनों जगह पर करीब 51 लोग लापता हो गए हैं, तो वहीं चार शव बरामद हुए हैं। यहां 35 लोग सुरक्षित बचाए गए हैं। बादल फटने की घटना के बाद डीसी ने आदेश जारी किया जिसके बाद मंडी के पधर के सभी स्कूल और शिक्षण संस्थान आज बंद कर दिए गए हैं। मंडी के थलटूखोड़ में आधी रात बादल फटने से तबाही मच गई। यहां मकान ढहने की सूचना है। सड़क कनेक्टिविटी भी ठप हो गई है। मौके के लिए एसडीआरएफ समेत अन्य टीमें रवाना हो गई हैं। घटना के बाद से कई लोग लापता बताए जा रहे है, तो वहीं तीन घर बहने की सूचना है। इसके अलावा, शिमला-कुल्लू सीमा पर बादल फटने से तबाही मची है। कई मकान, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कई लोगों के लापता होने की खबर है। राहत एवं बचाव कार्य चलाया गया है। मौके के लिए एसडीआरएफ की टीम रवाना हो गई है। निरमंड ब्लॉक के झाकड़ी में समेज खड्ड में हाइड्रो प्रोजेक्ट के नजदीक बादल फटने की सूचना मिली है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही एनडीएसआरएफ की टीम, पुलिस, रेस्क्यू दल घटना स्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र से 19 लोगों के लापता होने की जानकारी है। सड़क कई जगह बंद होने के कारण टीम दो किलोमीटर पैदल ही घटना स्थल पर पहुंचने के लिए प्रयास कर रही है। कुल्लू जिले के मलाणा नाले में भारी बारिश के दौरान बादल फटने से मलाणा वन और मलाणा टू पावर प्रोजेक्ट को भारी क्षति पहुंची है। भारी बारिश के बाद पार्वती नदी का भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बढ़ गया है, नदी तट से लगते तमाम क्षेत्रों के लोगों को प्रशासन द्वारा अपने घर खाली कर सुरक्षित जगह जाने की अपील की गई है। कुल्लू जिले के निरमंड इलाके के बागीपुल में 8-10 मकान बह गए हैं। बागीपुल में सात से दस लोगों के लापता होने की सूचना है, इसमें एक ही परिवार के सात लोग लापता बताए जा रहे हैं। बागीपुल में बस स्टैंड का नामोनिशान मिट गया है, यहाँ 15 गाड़ियां पानी में बह गई हैं।
राज्य कर सकते हैं अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण
राज्य को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को बहुमत से यह फैसला दिया। संविधान पीठ ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए पांच जजों के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि एससी/एसटी में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है।
फैसले को लेकर एक जज ने जताई असहमति
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने 6-1 के बहुमत से दिया गया फैसला सुनाया। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बाकी जजों से असहमति जताते हुए आदेश पारित किया। सी.जे.आई ने कहा कि हमने ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा उप-वर्गीकरण अनुच्छेद-14 का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि उपवर्गों को सूची से बाहर नहीं रखा गया है। फैसला पढ़ते हुए सी.जे.आई ने कहा कि वर्गों से अनुसूचित जातियों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मानदंड से ही पता चलता है कि वर्गों के भीतर विविधता है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद- 15, 16 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राज्य को किसी जाति को उप-वर्गीकृत करने से रोकता हो। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताते हुए अपने फैसले में कहा कि कार्यपालिका या विधायी शक्ति के अभाव में राज्यों के पास जातियों को उप-वर्गीकृत करने और अनुसूचित जातियों के सभी लोगों के लिए आरक्षित लाभों को उप-वर्गीकृत करने की कोई क्षमता नहीं है। राज्यों द्वारा उप-वर्गीकरण अनुच्छेद 341(2) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना के साथ छेड़छाड़ के समान होगा।
न्यायमूर्ति ने कहा एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की हो पहचान
अदालत के न्यायमूर्ति बी.आर गवई ने एक अलग फैसले में कहा कि राज्यों को एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए और उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर करना चाहिए। वहीं, शीर्ष अदालत ने कहा कि कोटा के लिए एससी/एसटी में उप-वर्गीकरण का आधार राज्यों द्वारा मानकों एवं आंकड़ों के आधार पर उचित ठहराया जाना चाहिए।
कोर्ट ने रखा था फैसला सुरक्षित
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले पर तीन दिनों तक सुनवाई करने के बाद इस साल आठ फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले को 2020 में पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में पांच जजों वाली पीठ ने सात जजों वाली पीठ को सौंप दिया था। पांच जजों वाली पीठ ने पाया कि ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य, (2005) 1 एससीसी 394 में समन्वय पीठ के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जिसमें कहा गया कि उप-वर्गीकरण अनुमेय नहीं है। बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं की ओर से प्रतिनिधित्व किए गए राज्यों ने ईवी चिन्नैया मामले में फैसले की समीक्षा की मांग की है। साल 2004 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उप-वर्गीकरण करने का अधिकार नहीं है।
विद्रोही संगठनों के बड़े हिस्से पर कब्जे से देश के टूटने का बढ़ा खतरा
दुनिया इन दिनों कई संघर्षों से जूझ रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध हो या फिर पश्चिम एशिया में चल रहा इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध, वैश्विक तनाव लगातार बढ़ रहा है। अब भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में चल रहा संघर्ष भी लगातार फैलता जा रहा है और हालात ये हो गए हैं कि म्यांमार के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। दरअसल, विद्रोही सेनाओं ने म्यांमार के उत्तरी क्षेत्र के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है।
म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध से लाखों लोग विस्थापित हुए
म्यांमार की सेना ने साल 2021 में जनता द्वारा चुनी गई सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसके खिलाफ कई विद्रोही संगठनों ने सशस्त्र विद्रोह का एलान कर दिया और देश फिर देखते ही देखते देश गृहयुद्ध की आग में जलने लगा। म्यांमार में जारी संघर्ष को अब तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। हालांकि, जैसे-जैसे समय बीत रहा है विद्रोही संगठन, सेना पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। गृहयुद्ध के कारण देश में लाखों लोग विस्थापित भी हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, म्यांमार में संघर्ष की वजह से अबतक 30 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। म्यांमार में राहत का काम कर रहे संगठन ताइ स्टूडेंट यूनियन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शान राज्य में हिंसा के चलते एक लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं और जून से जुलाई मध्य तक करीब 141 लोगों की मौत हुई है और वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
म्यांमार के बड़े इलाके पर विद्रोहीयों का कब्जा
म्यांमार के विद्रोही संगठनों ने बीते साल अक्टूबर में ऑपरेशन 1027 के तहत म्यांमार की सेना पर दूसरे चरण का हमला शुरू किया था। पहले चरण के संघर्ष में विद्रोही संगठनों ने रणनीतिक रूप से शान राज्य की पूर्वी सीमा पर कब्जा कर लिया था। यह इलाका चीन की सीमा से लगता है। अब विद्रोही संगठन देश के उत्तरी इलाके, जो कि मेंडले से लाशियो तक करीब 280 किलोमीटर का इलाका है, उस पर कब्जे के लिए लड़ रहे हैं। अब यह आशंका है कि अगर विद्रोही संगठन सफल हुए तो म्यांमार दो हिस्सों में टूट सकता है।
शहरी इलाकों में भी विद्रोही मजबूत
विद्रोही संगठन- तांग नेशनल लिब्रेशन आर्मी, म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी और मेंडले पीपल्स डिफेंस फोर्स ने दावा किया है कि वे मोगोक पर कब्जा कर चुके हैं, जो कि रूबी की खदानों के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही उत्तरी सीमा पर शान राज्य के दो शहरों- क्याकुमे और नॉनघीकियो समेत कई अन्य इलाकों पर भी उन्होंने कब्जा कर लिया है। लाशियो पर भी कब्जे का दावा विद्रोही संगठन कर रहे हैं, लेकिन अभी भी वहां संघर्ष चल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने अब आशंका जाहिर की है कि ऑपरेशन 1027 के तहत विद्रोही संगठन चीन सीमा से लेकर म्यांमार के मध्य तक बड़े हिस्से पर कब्जा स्थापित कर सकते हैं। म्यांमार के ग्रामीण इलाकों पर विद्रोही संगठन पहले से काबिज हैं और अब धीरे-धीरे वे शहरी इलाकों में भी कब्जे के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
केजरीवाल के पीए को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई लताड़
आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के मामले में उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'उन्होंने (बिभव कुमार) इस तरह आचरण किया जैसे कोई गुंडा मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुस गया हो। सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार के वकील से पूछा कि- क्या मुख्यमंत्री आवास निजी बंगला है? क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए?
बिभव के वकील ने गिरफ्तारी पर उठाए सवाल
केजरीवाल के पीए बिभव कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बिभव कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुयन ने मामले की सुनवाई अगले बुधवार तक टाल दी है। सुनवाई के दौरान बिभव के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिभव कुमार बीते 75 दिनों से हिरासत में हैं। सिंघवी ने इस बात पर सवाल उठाया कि स्वाति मालीवाल ने घटना के तीन दिन बाद क्यों एफआईआर दर्ज कराई? लेकिन वहीं बिभव की शिकायत उसी दिन दर्ज नहीं की गई। सिंघवी ने कहा कि मालीवाल की चोटें गंभीर नहीं थीं, सामान्य चोटें थी। घटना वाले दिन वो पुलिस स्टेशन गईं थी, लेकिन बिना शिकायत के क्यों वापस लौट आईं?
जमानत माँगे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हत्यारों और लुटेरों को जमानत मिल सकती है, लेकिन मालीवाल के मामले में बिभव कुमार पर जो आरोप हैं, हम उन्हें खुले में भी नहीं पढ़ना चाहते। जब मालीवाल ने बिभव को शारीरिक समस्या की वजह से मारपीट न करने की अपील की थी, तब भी ये व्यक्ति नहीं रुका! वह क्या सोच रहा था, सत्ता इसके सिर चढ़ गई थी?
स्वाति मालीवाल से मारपीट का क्या है पूरा मामला?
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की एक शिकायत पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मालीवाल ने शिकायत में कहा था कि जब वह 13 मई को सीएम आवास पर मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने पहुंचीं थी तो वहाँ मौजूद सीएम के पीए बिभव ने उनके साथ मारपीट की। बता दें, स्वाति की शिकायत पर पुलिस ने बिभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना है कि बिभव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। बिभव ने जमानत के लिए 27 मई को ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से जमानत खारिज होने के बाद सत्र न्यायालय में अपील की। हालाँकि, वहां से भी निराशा मिलने के बाद बिभव ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी अब बिभव को राहत देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ही बिभव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका
मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह विवाद में लंबित 18 सिविल वादों की पोषणीयता पर हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। कोर्ट ने अपने फैले में हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल सिविल सूट के ट्रायल को जारी रखने का आदेश दिया है। झटके पर झटका खा रही ईदगाह कमेटी अब हाइकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। मुस्लिम पक्ष की ओर से सभी सिविल सूटों को जारी रखने को लेकर दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिन प्रतिदिन लंबी सुनवाई की थी, इसके बाद जून में फैसला सुरक्षित कर लिया था। अब गुरुवार यानि आज इस मामले में फैसला आया है। केस की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
हिंदू पक्ष की क्या है माँग?
हिंदू पक्ष के सिविल सूट में शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किया गया है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के समय शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया है, इसलिए उस विवादित स्थल पर हिंदुओं का अधिकार है। ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
मस्जिद पक्ष का क्या कहना है मामले में?
इस मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि विवाद खड़ा करने वाले पक्षकारों का जन्मभूमि ट्रस्ट और ईदगाह कमेटी से कोई रिश्ता, वास्ता और सरोकार नहीं हैं। इसके अलावा यह भी तर्क दिया है कि ईदगाह स्थल वक्फ की संपत्ति है। 15 अगस्त 1947 को यह मस्जिद कायम थी। पूजा का अधिकार अधिनियम के तहत अब धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता। बरहाल, अब इस मामले में महीनों चली लंबी बहस के बाद गुरुवार को फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों को तगड़ा झटका दिया है।
पेरिस ओलंपिक में भारत को मिला तीसरा मैडल
पेरिस ओलंपिक 2024 के छठे दिन शूटर स्वप्निल कुसाले एक्शन में हैं। आपको बता दें, पेरिस ओलंपिक में भारत ने अब तक दो पदक जीते हैं। पहला पदक मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य के रूप में जीता था। वहीं, दूसरा पदक मनु ने सरबजोत के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल की मिश्रित स्पर्धा में कांस्या जीत कर किया था। अब इस कड़ी में भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने गुरुवार को पेरिस ओलंपिक में कमाल करते हुए 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन के फाइनल में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। कुसाले ने 451.4 का कुल स्कोर किया और तीसरे स्थान पर रहते हुए देश को एक और पदक दिला दिया। यह पहली बार है जब भारत को इस स्पर्धा में ओलंपिक पदक मिला है। इसके साथ ही भारत को अब तक तीनों पदक निशानेबाजी में ही मिले हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पेरिस खेलों में धमाल मचाने वाले स्वप्निल ने बताया था कि वह पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हीं की तरह रेलवे में टिकट कलेक्टर हैं। स्वप्निल बताते हैं कि उन्हें किसी भी परिस्थिति में खुद को शांत रखने की प्रेरणा पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से मिली है।
क्या है शूटिंग में थ्री पोजिशन?
स्वप्निल क्वालिफिकेशन राउंड में 590 के स्कोर के साथ सातवें स्थान पर रहे थे, लेकिन फाइनल में उन्होंने दमदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। इस स्पर्धा में तीन पोजिशन में शूटर्स को निशाना लगाना होता है। इनमें नीलिंग यानी झुककर/बैठकर, लेट कर और खड़े होकर निशाना लगाना होता है।
केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को मेप्पाडी में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। केरल के वायनाड में भूस्खलन के आयी तबाही में अब मृतकों का आंकड़ा 300 के करीब पहुंच गया है। ताजा अपडेट के अनुसार 291 लोगों की इस त्रासदी में मौत हो चुकी है, जबकि करीब 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं। बता दें, वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन में मृतकों का आंकड़ा बढ़ने का सिलसिला जारी है। एनडीआरएफ के डीजी पीयूष आनंद ने कहा, 'एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। हमारी चार टीमें वहां मौजूद हैं। हमने रस्सी बचाव तकनीक का उपयोग करके लोगों को बचाया। भारतीय सेना और वायुसेना भी वहां मौजूद है। भारतीय सेना वहां बेली ब्रिज बनाने की कोशिश कर रही है। वायुसेना ने कई लोगों को बचाया है और उन्होंने फंसे हुए लोगों तक खाने का सामान भी पहुंचाया है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सेना कि की तारीफ
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने वायनाड भूस्खलन पर कहा कि आज एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसके बाद राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक भी हुई। बैठक में विपक्षी नेताओं ने भी हिस्सा लिया। मैं सेना के जवानों के प्रयासों की सराहना करता हूं। उन्होंने हमें बताया है कि फंसे हुए ज़्यादातर लोगों को बचा लिया गया है। मिट्टी के नीचे फंसे लोगों को बचाने के लिए मशीनरी लाना मुश्किल था, लेकिन पुल बनाने से यह काम आसान हो गया। बेली ब्रिज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। बता दें, केरल के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव अभियान जारी है। क्षेत्र में फंसे लोगों को शीघ्र निकालने की सुविधा के लिए बेली ब्रिज का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा लापता लोगों की तलाश के लिए नदी में बचाव अभियान जारी रहेगा। बचाए गए लोगों को अस्थायी रूप से शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है और उनके पुनर्वास का कार्य जल्द से जल्द किया जाएगा।
आपदा के बाद बढ़ा महामारी का खतरा
केरल के सीएम पिनरई विजयन ने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण जीवित बचे लोगों को मनोवैज्ञानिक सहायता देना है और साथ ही हमें महामारी फैलने से रोकना होगा। इस आपदा में न केवल इंसान, बल्कि कई जानवरों की भी मौत हुई है, उन सभी को ठीक से दफनाना होगा। सरकार के चार मंत्रियों की एक समिति यहां शिविर लगाएगी और गतिविधियों का समन्वय करेगी। जिन लोगों के प्रमाण पत्र खो गए हैं, सरकार उन्हें फिर से जारी करेगी।